कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के ऐलान के साथ ही जैसे देश में सारे काम अचानक रुक गए, वैसे ही देश के करोड़ों छात्र-छात्राओं के स्कूल-कॉलेज जाने पर भी रोक लग गई. आज कोरोना लॉकडाउन में लगी बंदिशें तो खुल गई हैं लेकिन स्कूलों के खुलने पर रोक है. चार महीने बाद भी स्थिति वैसी ही है और समस्याएं अनेक. ऐसे में स्कूली बच्चों की शिक्षा का एकमात्र रास्ता ऑनलाइन क्लास हो गया. ऑनलाइन क्लास की कई तरह की दुश्वावारियां हैं.
ऑनलाइन क्लास लंबे वक्त तक का सहारा नहीं हो सकता. ये हम नहीं कह रहे. एनसीआरटी की एक सर्वे में ऐसा कहा गया है. सर्वे के मुताबिक, करीब 27 फीसदी बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्टफोन या लैपटॉप नहीं है. जिन लोगों के पास पास सारी सुविधाए हैं वो भी भी इस पढ़ाई से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं है. सर्वे में कहा गया है कि ऑनलाइन पढ़ाई में कांसेप्ट क्लियर नहीं हो पाता है, समझ नहीं आता. खासकर मैथ और साइंस में छात्रों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. एनसीआरटी के इस सर्वे के मुताबिक, हर तीन में से एक छात्र ऑनलाइन क्लास की मुश्किलों को झेल रहा. इन मुश्किलों के तमाम कारण हैं.
कितने छात्रों पर हुआ सर्वे
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एनसीआरटी ने जो सर्वे किया है उसमें ज्यादातर छात्र शहरी क्षेत्रों से हैं. एनसीआरटी ने केंद्र द्वारा संचालित स्कूलों के 18 हजार 118 छात्रों को अपने सर्वे में शामिल किया. इसमें सीबीएसई स्कूल, नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालयों के बच्चों पर सर्वे किया गया. इस सर्वे को एनसीआरटी ने बुधवार को शिक्षा मंत्रालय को सौंपा. इसके मुताबिक, 33 फीसदी छात्र ऑनलाइन क्लास में मुश्किल और बहुत ज्यादा कठिनाई का सामना कर रहे हैं.
सर्वे की मुख्य बातें
- 84 फीसदी छात्र मोबाइल से कर रहे ऑनलाइन क्लास
- 27 फीसदी छात्रों के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप नहीं
- 28 फीसदी लोग ( शिक्षक, छात्र-छात्राएं, ) बिजली की समस्या से परेशान
- ऑनलाइन पढ़ाई में कांसेप्ट क्लियर नहीं हो पाता है
- टीवी या रेडियो से बहुत कम हो रही पढ़ाई
- इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी है दिक्कत
एनसीआरटी ने दिए सुझाव
एनसीआरटी ने शिक्षा मंत्री को सौंपें इस रिपोर्ट में ई-लर्निंग के लिए कई सुझाव भी दिए हैं. इसके मुताबिक, शिक्षकों की संख्या ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए. जिन छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस नहीं वहां राज्य की सरकारें उन छात्रों के पास किताबों की पूरी सेट पहुंचाए. क्योंकि टेक्सटबुक ही पढ़ाई का सबसे बड़ा सहारा है. ऑनलाइन क्लास के अलावा छात्रों तक वर्कबुक, वर्कशीट, प्रोजेक्टस, क्विज और पजल्स छात्रों के घर तक पहुंचाने और फिर उसे रिसीव करने की सुविधा शुरू की जाए.
वैसे छात्र जहां छात्रों के शिक्षक भी रहते हों वहां सोशल डिस्टेंसिंग के साथ खुले में क्लासेज आयोजित की जा सकती है. इसके लिए समाज के लोगों को शामिल कर शिक्षा दल बनाया जा सकता है जो इशका प्रबंधन करें. अगर यह संभव नहीं है तो कम्यूनिटी सेंटर बनाकर टीवी सेट लगाया जाए जहां से छात्र शैक्षणिक कार्यक्रम को देख सकें और ज्ञान अर्जित कर सकें.
Posted By: Utpal kant