बच्चों को कम आयु से ही श‍िक्षा की ओर अग्रसर करना जरूरी

बच्चा जब मांं के गर्भ मे आता है तभी से उसके मस्तिष्क का विकास शुरू हो जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 06 वर्ष की आयु तक मनुष्य के मस्तिष्क का 80 प्रतिशत हिस्सा विकसित हो जाता है. इसलिए बच्चों को कम आयु से ही श‍िक्षा की ओर अग्रसर करना जरूरी

बच्चों के लिए श‍िक्षा का अध‍िकार को ध्यान में रखते हुए 6 वर्ष से कम और 14 से 18 वर्ष की आयु के लिए विस्तार की मांग की जा रही है. श‍िक्षा के क्षेत्र में काम कर रही कई संस्थानों ने एक साथ सार्वजनिक पत्र द्वारा मांग की है कि आरटीई अधिनियम 2009 में 14 वर्ष से अधिक एवं 06 वर्ष से कम उम्र के बच्चों हेतु विस्तार किया जाए.वैसे छह वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों की शिक्षा का प्राविधान संविधान में दिए राज्य के नीति निदेशक तत्वों मे किया गया है जो कि अधिकार के रूप में न होकर राज्य सरकार की इच्छा पर निर्भर करता है. इस प्रकार  14 वर्ष से अधिक एवं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शिक्षा एक अधिकार के रूप मे नहीं मिला है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकार सम्मेलन 1989 में भी इसे स्वीकारा था. यह भी सरकार को 18 वर्ष तक के बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध करता है. हालांकि वर्तमान मे शिक्षा का अधिकार कानून 2009 कहता है कि 06 वर्ष से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है लेकिन आज 15 वर्ष बाद भी मात्र 25 प्रतिशत स्कूलों में इस कानून के सूचक मापदंडो का पालन हो रहा है. इसके अलावा आज भी देश मे 06 वर्ष से कम उम्र एवं 14 -18 वर्ष आयुवर्ग के बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं. इसलिए राइट टू एजुकेशन फोरम, फोरम फॉर क्रेचेस एंड चाइल्डकेयर सर्विसेस, कॅम्पेन अगेन्स्ट चाइल्ड लेबर एवं अलाइन्स फॉर राइट टू ई सी डी नेटवर्क ने मिलकर सरकार से गुजारिश की है कि भारत मे 18 वर्ष से छोटे सभी बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत शामिल किया जाए.

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