हमारे देश में इंग्लिश मीडियम स्कूलों का क्रेज कैसा है, ये किसी से छिपा नहीं है। दिल्ली, यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे शुद्ध हिन्दी भाषी क्षेत्रों में भी जब बच्चों के एडमिशन की बात आती है, तो English Medium Schools से परे कोई सोचता तक नहीं। यहां तक कि जो अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की फीस वहन नहीं कर सकते, वे भी पाई-पाई जोड़ जोड़कर अपने बच्चों को इंग्लिश स्कूल्स में ही पढ़ाना चाहते हैं। लेकिन ये चाहत हमें कहां लेकर जा रही है? एनसीईआरटी प्रमुख ने इस पर कई बड़ी बातें कही हैं
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (NCERT) के निदेशक डी.पी. सकलानी ने माता-पिता का इंग्लिश मीडियम स्कूल्स के प्रति आकर्षण पर अफसोस जताया है। उन्होंने कहा कि ‘यह अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने से कम नहीं है। अंग्रेजी में विषयों को रटने की प्रथा ने बच्चों में नॉलेज का नुकसान कर दिया है। उन्हें उनकी जड़ों और संस्कृति से दूर कर दिया है। हम अंग्रेजी में रटना शुरू कर देते हैं और यहीं से Knowledge Loss होती है।’NCERT Chief ने कहा, ‘पैरेंट्स अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के प्रति आकर्षित हैं। वे अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं। भले ही वहां शिक्षक न हों या वे पर्याप्त प्रशिक्षित न हों। यह आत्मघात से कम नहीं है। यही कारण है कि नई (राष्ट्रीय) शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाने पर जोर दिया गया है।’