स्वास्थ्य बीमा
स्वास्थ्य बीमा (अंग्रेज़ी:हेल्थ इंश्योरेंस) बीमाधारक या उसके आश्रितों को धारक की स्वास्थ्य समस्या, दुर्घटना या मृत्यु आदि की स्थिति में आर्थिक सहायता देता है।[1] स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदते समय सबसे पहले यह जानकारी लेनी चाहिये कि क्या आपको हेल्थ इंश्योरेंस चाहिए। इसके साथ ही कितनी कीमत के बीमा कवर की आवश्यकता है, इसका भी आकलन कर लेना चाहिये। यदि गंभीर रोग के लिए बीमा कवर लेना हो तो ये अवश्य पता कर लेना चाहिये कि कौन-कौन सी बीमारियों का बीमा होता है।
इस स्थिति में स्पिलिटिंग पॉलिसी लाभदायक होती है। कीमत के लिहाज से, परिवार के सबसे बड़े सदस्य के लिए अलग से पॉलिसी ली जा सकती है। सामान्यत: सभी बीमा कंपनियां बीमाधारक के साथ, उसकी पत्नी व दो बच्चों को एक ही पॉलिसी में कवर करती है। वहीं कुछ पॉलिसी आश्रित माता-पिता को भी कवर करती है।[2]
कीमत
पॉलिसी की कुल कवरेज कीमत का निर्धारण लोगों की संख्या जिनको पॉलिसी के माध्यम से कवर करना चाहते हैं, बीमाधारक की स्वास्थ्य सुरक्षा की गणना, साथ ही वर्तमान में विभिन्न स्रोतों से मिलने वाले कवरेज को ध्यान में रखकर होती है।[1] धारक के लिए यह अत्यावश्यक है कि परिवार के साथ वाली पॉलिसी के साथ, स्वयं की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी भी खरीदे। यहां वेतनभोगियों के लिये ये ज्ञान आवश्यक होता है कि उनके कार्यालय द्वारा की जाने वाली स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी तभी तक मान्य होती है, जब तक उस कार्यालय से जुड़े होते हैं। कार्यालय को छोड़ने के बाद शर्तें बदल जाती हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रारंभ
पिछले समय में सरकार ने या तो राज्य स्तर या राष्ट्रीय स्तर पर चुने हुए लाभार्थियों को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने का प्रयास किया है। जबकि, इनमें से अधिकांश योजनाएं अपने वांछित उद्देश्य पूरे करने में सक्षम नहीं रही थी। आम तौर पर ये इन योजनाओं की डिजाइन और / या कार्यान्वयन के मुद्दे थे।
इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने एक ऐसी स्वास्थ्य बीमा योजना तैयार की जिसमें ना केवल पिछले योजनाओं की कमियों को दूर किया गया, बल्कि इससे एक कदम आगे जाकर एक विश्व स्तरीय मॉडल प्रदान किया गया। मौजूदा और पूर्व स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की एक आलोचनात्मक समीक्षा की गई और इनकी उत्तम प्रथाओं से प्राप्त उद्देश्यों और गलतियों से सबक लिया गया। इन सभी को विचार में लेकर और समान व्यवस्थाओं में विश्व के स्वास्थ्य बीमा के अन्य सफल मॉडलों की समीक्षा के बाद आर एस बी वाय को डिजाइन किया गया। इसे 1 अप्रैल 2008 से आरंभ किया गया है।
आरएसबीवाय – योजना
आरएसबीवाय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने हेतु आरंभ की गई है। आरएसबीवाय का उद्देश्य स्वास्थ्य आघातों से उत्पन्न वित्तीय देयताओं से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को सुरक्षा प्रदान करना है, जिसमें अस्पताल में भर्ती करना शामिल है।
योग्यताएं
- असंगठित क्षेत्र के कामगार जो बीपीएल श्रेणी में आते हैं और उनके परिवार के सदस्य (पांच सदस्यों की परिवार इकाई) को योजना के तहत् लाभ मिलेंगे।
- कार्यान्वयन एजेंसियों की जिम्मदारी होगी कि वे असंगठित क्षेत्र के कामगारों और उनके परिवार के सदस्यों की योग्यता का सत्यापन करें, जिन्हें योजना के तहत् लाभ मिलने का प्रस्ताव है।
- लाभार्थियों को पहचान के उद्देश्य के लिए स्मार्टकार्ड जारी किए जाएंगेा
लाभ
लाभार्थियों को उक्त आंतरिक स्वास्थ्य देखभाल बीमा लाभों की पात्रता होगी जिन्हें लोगों / भौगोलिक क्षेत्र की आवश्यकता के आधार पर संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तैयार किया जाएगा। जबकि, राज्य सरकारों को पैकेज / योजना में निम्नलिखित न्यूनतम लाभों को शामिल करने की सलाह दी गई है :
- असंगठित क्षेत्र के कामगार और उनके परिवार (पांच की इकाई) शामिल किए जाएंगे।
- प्रति परिवार प्रति वर्ष पारिवारिक फ्लोटर आधार पर कुल बीमा राशि 30,000/- रुपए होगी।
- सभी शामिल बीमारियों के लिए नकद रहित उपस्थिति।
- अस्पताल के व्यय, सभी सामान्य बीमारियों की देखभाल सहित कुछ निष्कासन संभव हैं।
- सभी पूर्व – मौजूद रोग शामिल किए जाएं।
- परिवहन लागत (प्रति विजिट अधिकतम 100 रुपए के साथ वास्तविक) के साथ 1000 रुपए की समग्र सीमा।
निधिकरण पैटर्न
- भारत सरकार द्वारा योगदान: 750 रुपए के अनुमानित वार्षिक प्रीमियम की 75 प्रतिशत राशि, प्रति वर्ष प्रति परिवार अधिकतम 565 रुपए। स्मार्ट कार्ड का मूल्य केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
- संबंधित राज्य सरकारों द्वारा योगदान : वार्षिक प्रीमियम का 25 प्रतिशत और अन्य कोई अतिरिक्त प्रीमियम।
- लाभार्थी को वार्षिक पंजीकरण / नवीकरण शुल्क के रूप में 30 रुपए का भुगतान किया जाएगा।
- योजना को लागू करने के लिए प्रशासनिक और अन्य संबंधित लागतों को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाएगा।
नामांकन प्रक्रिया
बीमा कर्ता को पूर्व निर्दिष्ट डेटा फॉर्मेट का उपयोग करते हुए पात्र गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की एक इलेक्ट्रॉनिक सूची दी जाएगी। बीमा कंपनी द्वारा तिथि सहित प्रत्येक गांव के लिए एक नामांकन अनुसूची बनाई जाएगी जिसमें जिला स्तरीय अधिकारियों की सहायता ली जाएगी। अनुसूची के अनुसार नामांकन से पहले प्रत्येक गांव के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की सूची नामांकन स्टेशन तथा प्रमुख स्थानों में लगाई जाएगी तथा गांव में नामांकन की तिथि और स्थान का प्रचार पहले से किया जाएगा। प्रत्येक गांव में स्थानीय केंद्रों में चलनशील नामांकन स्टेशन बनाए जाते हैं (उदाहरण के लिए पब्लिक स्कूल)।
इन स्टेशनों पर बीमाकर्ता द्वारा शामिल परिवार के सदस्यों की बायोमेट्रिक जानकारी (अंगुलियों के निशान) प्राप्त करने और तस्वीर लेने के लिए आवश्यक हार्डवेयर तथा फोटो के साथ स्मार्ट कार्ड प्रिंट करने के लिए एक प्रिंटर उपलब्ध कराया जाता है। लाभार्थी द्वारा तीस रुपए का शुल्क देने के बाद और संबंधित अधिकारी द्वारा स्मार्ट कार्ड के अभिप्रमाणन के पश्चात् स्मार्ट कार्ड के साथ योजना का विवरण और अस्पतालों की सूची सहित एक सूचना पेम्फ्लेट वाला उन्हें दिया जाता है। इस प्रक्रिया में सामान्य तौर पर 10 मिनट से कम का समय लगता है। कार्ड प्लास्टिक के कवर में दिया जाता है।
स्मार्ट कार्ड
स्मार्ट कार्ड अनेक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे रोगी के बारे में तस्वीर और अंगुलियों के छापे के माध्यम से लाभार्थी की पहचान। स्मार्ट कार्ड का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है कि इससे नामिकाबद्ध अस्पतालों में नकद रहित लेनदेन की सक्षमता मिलती है और ये लाभ पूरे देश में कहीं भी उठाए जा सकते हैं। अभिप्रमाणित स्मार्ट कार्ड नामांकन स्टेशन पर ही लाभार्थी को सौंप दिए जाएंगे। स्मार्ट कार्ड पर परिवार के मुखिया की तस्वीर को पहचान के प्रयोजन हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है, यदि बायोमेट्रिक सूचना असफल रहती है।सेवा प्रदायगी
नामांकन के समय अस्पतालों की एक सूची (सार्वजनिक और निजी दोनों)(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) प्रदान की जाएगी। स्मार्ट कार्ड के साथ एक हेल्प लाइन नंबर भी दिया जाएगा। अर्हकारी मानदण्डों के आधार पर सार्वजनिक और निजी, दोनों प्रकार के अस्पतालों को बीमा कंपनी द्वारा नामिकाबद्ध किया जाएगा। लाभार्थी के पास अपनी इच्छा अनुसार अस्पताल जाने का विकल्प होगा।
अस्पताल को 30000/- रुपए तक के इलाज के लिए कोई भुगता नहीं करना होगा।
नकद रहित सेवा के मामले में रोगी को इलाज और अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कोई राशि व्यय नहीं करनी होगी। यह अस्पताल का दायित्व है कि वह बीमा कर्ता से इसका दावा करें।
आरएसबीवाय की विशिष्ट बातें
आरएसबीवाय योजना भारत सरकार द्वारा कम आय वाले कामगारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने का पहला प्रयास नहीं है। जबकि आरएसबीवाय योजना अनेक महत्वपूर्ण तरीकों से इन योजनाओं से भिन्न है।