स्मार्टफोन अब भी एक सपना समझ ही नहीं आता कि क्या पढ़ें और कैसे पढ़ें।

लॉकडाउन के चलते बंद हुए स्कूलों के बच्चों के लिए शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन शिक्षा शुरू तो कर दी है, लेकिन इसमें सरकारी स्कूलों के बच्चे पिछड़ रहे हैं। कारण है इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों के पास लैपटॉप, एंड्रायड या स्मार्टफोन न होना। इन हालात में ये बच्चे वाट्सएप या अन्य माध्यमों से पाठ्य सामग्री हासिल नहीं कर पाए हैं।लॉकडाउन के चलते पहली से नौवीं और ग्यारहवीं के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा दिए ही अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है।

वर्तमान हालात में परीक्षाओं को लिया जाना संभव भी नहीं था। इसके बाद शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन ही पढ़ाने का फैसला लिया। इसके लिए शिक्षा निदेशालय ने अपनी वेबसाइट पर पोर्टल बनाया। शिक्षकों से बच्चों के वाट्सएप ग्रुप बनाने को कहा ताकि उन्हें असाइनमेंट दिए जा सकें। शिक्षकों का भी मानना है कि उनके पास पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे जिस पृष्ठभूमि से आते हैं, उनके लिए स्मार्टफोन अब भी एक सपना है। ऐसे में उन तक असाइनमेंट कैसे पहुंचेंगे। अगर वे बच्चे किसी एक के पास ग्रुप बनाकर पढ़ने भी चले जाएं तो इसमें शारीरिक दूरी कहां रहेगी?

टूजी इंटरनेट पर रफ्तार नहीं पकड़ पा रही ऑनलाइन पढ़ाई

ऑनलाइन पढ़ने में बच्चों को स्लो नेटवर्क भी परेशान कर रहा है। जम्मू कश्मीर में वर्तमान में 4जी इंटरनेट सेवा बंद है। टूजी नेटवर्क में न तो कुछ ठीक से डाउनलोड कर पा रहे हैं और न ही वीडियो असेस हो रहा है। इसके कारण उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है। दोमाना में रहने वाले जतिन का कहना है कि उनके इलाके में मोबाइल नेटवर्क का बुरा हाल है। ऊपर से ग्रुप में टीचर इतना ज्यादा काम डाल रहे हैं जितना कभी स्कूल में नहीं मिला। उन्हें समझ ही नहीं आता कि क्या पढ़ें और कैसे पढ़ें।

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