सिद्धार्थनगर (एसएनबी)। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में कुलपति द्वारा अपने सेवानिवृत्त के ठीक पहले बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी को मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ईड़ब्ल्यूएस कोटे के तहत की गयी नियुक्ति को लेकर विवाद गहराने लगा है। बेसिक शिक्षा मंत्री ने इस नियुक्ति में किसी तरह के दखल से इनकार किया है तो वहीं जिलाधिकारी ने प्रमाणपत्र को नियमानुसार जारी होना बताया है। कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दूबे का कहना है कि यदि प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया तो नियुक्ति निरस्त कर दी जायेगी। यह मामला सार्वजनिक होते ही नियुक्ति को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने बेसिक शिक्षा मंत्री व भारतीय जनता पार्टी की सरकार को आरोपित करने के लिए ट¬ूविटर वार शुरू कर दिया है। ॥ यूपी के समाजवादी पार्टी के एक बडÃे नेता ने इस नियुक्ति में कुलपति की भूमिका संदिग्ध होने आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कोई भी वाइस चांसलर अपने कार्यकाल के अंतिम तीन महीनों तक कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं ले सकता है। २१ मई को सिद्धार्थ विवि के कुलपति का कार्यकाल समाप्त हो रहा था‚ जिसे विस्तार कराकर अग्रिम आदेश तक बढÃवाने के लिए एवार्ड के तौर पर शिक्षा मंत्री के भाई को गरीब कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस विश्वविद्यालय में नियुक्ति में बडÃे पैमाने पर भ्रष्टाचार की गई है। (संबंधित खबरें पेज ७ पर)॥ किसी भी जांच को तैयार ॥ सिद्धार्थनगर/लखनऊ (भाषा)। बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि ‘आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग’ कोटे से सहायक प्रोफेसर के पद *पर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में उनके भाई की नियुक्ति को लेकर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं और वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। सोनभद्र में उन्होंने कहा कि उनकी तथा उनके भाई की आमदनी में अंतर है और नियुक्ति को लेकर लगाए जा रहे आरोपों का कोई आधार नहीं है। ॥
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