जागरण संवाददाता, मऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद समाज कल्याण विभाग के अनुदानित आंबेडकर विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की जांच शुरू हो गई है। मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जिला समाज कल्याण अधिकारी सचिव व सदस्य के रूप में पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी की गठित त्रि-स्तरीय कमेटी एक-एक शिक्षकों का मूल अभिलेख खंगालेगी। जनपद में गठित कमेटी ने शिक्षकों के अभिलेख को तलब कर लिया है। एक दशक से विवादित शिक्षकों की नियुक्त के मामले की जांच शुरू होते ही विभाग में खलबली मच गई है।
प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में धांधली व अनामिका प्रकरण के बाद सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने एक-एक शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच के लिए ‘डेडिकेटेड टीम’ यानि विशेष दस्ते का गठन किया है। विशेष दस्ता माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, कस्तूरबा गांधी विद्यालय व समाज कल्याण के अनुदानित विद्यालयों में तैनात शिक्षकों का सत्यापन होना है। मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद जनपद के समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित आंबेडकर विद्यालयों में नियुक्त फर्जी शिक्षकों के मामले में पर्दाफास होने की उम्मीदें जग गई है। हालांकि इसके पूर्व भी कई बार जहां जांच हो चुकी है तो पूर्व जिलाधिकारी ने स्वयं अनियमितता पकड़ते हुए 37 शिक्षकों सहित प्रबंधकों पर एफआइआर तक दर्ज करा चुके हैं। इसके बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
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उप निदेशक के नेतृत्व में हो चुकी है जांच
जनपद के डेढ़ दर्जन विद्यालयों में वित्तीय वर्ष 2010 से नियुक्तियां शुरू की गई, जो कई वर्षों तक जारी रही। 2017 में सभी नियुक्त अध्यापकों को करोड़ों रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। इन नियुक्तियों पर कई बार आरोप भी लगे। जबकि इन नियुक्तियों के लिए ना ही शासन से अनुमोदन लिया गया और न ही दो प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में विज्ञापन ही निकलवाए गए। यह मामला तत्कालीन मंडलायुक्त के जब सामने पहुंचा तो मंडलायुक्त ने डिप्टी डायरेक्टर को तलब किया था। डिप्टी डायरेक्टर से मिली सूचनाओं के आधार पर जिला विद्यालय निरीक्षक व प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. वीपी सिंह ने इसकी रिपोर्ट तत्कालीन जिलाधिकारी प्रकाश बिदु को सौंपी थी। जिलाधिकारी ने तत्काल मामले का संज्ञान लेते हुए 24 फरवरी 2018 को बीएसए कार्यालय पर छापेमारी की थी। इसमें सभी अभिलेखों का गहनता पूर्वक जांच की गई। जांच में ना कोई अनुमोदन का पत्र मिला था और न ही विद्यालयों के प्रबंधकों के अनुमोदन ही। साथ ही डिस्पैच भी फर्जी पाए गए थे। जिलाधिकारी ने इसे प्रथम दृष्टिया अनियमितता मानते हुए 37 अध्यापकों पर एफआइआर दर्ज कराया था। इसके बाद उप निदेशक के नेतृत्व में त्रि-स्तरीय विभागीय कमेटी ने जांच की थी। इसमें भी करीब आधा दर्जन की संख्या में अनियमित शिक्षक पाए गए थे। अब जबकि मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश के शिक्षकों की जांच कराने का निर्णय लिया है तो अब लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
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59 – कुल अनुदानित विद्यालय
500 – कुल शिक्षकों की संख्या
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शासन के आदेश पर आंबेडकर विद्यालयों की जांच शुरू हो गई है। सभी अनुदानित विद्यालयों के शिक्षकों का मूल अभिलेख तलब किया गया है। इसकी विधिवत जांच की जाएगी। जांच कर रिपोर्ट शासन को प्रेषित की जाएगी।
-रामसिंह वर्मा, मुख्य विकास अधिकारी व अध्यक्ष त्रि-स्तरीय कमेटी मऊ।