शिक्षा तंत्र की मूर्खता की पराकाष्ठा है..या..तदर्थ शिक्षकों के साथ घोर अपमानजनक बर्ताव है ?-लालमणि द्विवेदी प्रदेश महामंत्री.

चयन बोर्ड का विज्ञापन और तदर्थ शिक्षक ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●यह प्रदेश के शिक्षा तंत्र की मूर्खता की पराकाष्ठा है..या..तदर्थ शिक्षकों के साथ घोर अपमानजनक बर्ताव है ?———————————————————————चयन बोर्ड के द्वारा आज किया गया विज्ञापन तदर्थ शिक्षकों के लिए अन्यायपूर्ण, निकृष्टतम, समता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का माखौल उड़ाने वाला विज्ञापन है।———————————————————————–चयन बोर्ड के विज्ञापन में तदर्थ शिक्षकों के लिए निगेटिव वेटेज (ऋणात्मक अधिभार) की व्यवस्था की गई है।———————————————————————–उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के द्वारा आज किए गए विज्ञापन में संजय सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश शासन व अन्य में दिनांक 26 अगस्त 2020 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में तदर्थ शिक्षकों को दिए जाने वाले अधिभार अंक (वेटेज) की व्यवस्था.. तदर्थ शिक्षकों को सामान्य अभ्यर्थी के बराबर प्रश्न हल करने पर भी उन्हें मेरिट में और पीछे ले जाएगी। यह व्यवस्था उनके लिए हानिकारक (ऋणात्मक) साबित होगी ।● प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) के विज्ञापन के महत्वपूर्ण निर्देश के बिंदु-10 (1) के अनुसार—* 500 अंकों का एक प्रश्न पत्र होगा * प्रश्न पत्र में कुल 125 प्रश्न होंगे* सामान्य अभ्यर्थी को एक प्रश्न के लिए 4 अंक मिलेगा* जबकि तदर्थ शिक्षकों को एक प्रश्न के लिए केवल 3.72 अंक मिलेगा।* तदर्थ शिक्षक को 1 वर्ष की सेवा के लिए 1.75 अंक मिलेगा, अधिकतम 35 अंक।उदाहरण – एक सामान्य अभ्यर्थी यदि 100 प्रश्नों को सही हल करता है तो उसे मिलेंगे कुल – 400 अंक ———————————-दूसरी ओर यदि कोई तदर्थ शिक्षक जिसने 12 वर्ष तक अध्यापन कार्य किया हो और उसने भी सामान्य अभ्यर्थी के बराबर 100 प्रश्न सही हल किया तो उसे मिलेंगे…100 प्रश्न के लिए – 100 × 3.72 = 372 अंक12 वर्ष के वेटेज के लिए-12 × 1.75 = 21 अंक ———————————————————— कुल = 393 अंक ————————————————————अर्थात यदि एक तदर्थ शिक्षक सामान्य अभ्यर्थी के रूप में आवेदन करके 100 प्रश्न सही हल करेगा, तो उसे मिलेंगे – 400 किंतु यदि 12 वर्ष की नौकरी करके तदर्थ कोटे में आवेदन करके 100 प्रश्न सही हल करेगा,तो मिलेंगे – 393 अंक———————————————————————इसी प्रकार 12 वर्ष सेवा देने वाला तदर्थ प्रवक्ता…यदि सामान्य अभ्यर्थी के रूप में 100 प्रश्न हल करेगा तो उसे मिलेंगे… 100 × 3.4 = 340 अंक ——————-किंतु यदि तदर्थ कोटे में 100 प्रश्न हल करेगा..तो उसे मिलेंगे… 100 × 3.12 = 312 अंक अधिभार… 12 × 1.75 = 21 अंक —————————————- कुल = 333 अंक ——————————————————————-एक व्यक्ति को देंगे 100 सवालों के = 400 अंकउन्ही 100 प्रश्नों के लिए दूसरे को देंगे = 372 अंकक्योंकि वे तदर्थ शिक्षक हैं, क्योंकि उन्होंने 12 साल सेवा की है,क्योंकि वह सर्वोच्च न्यायालय गए हैं, क्योंकि उन्हें सेवा का वेटेज दिया जाना है,इसलिए उन्हें 28 अंक कम मिलेंगे।———————————————————————–आखिर यह कैसी व्यवस्था है सरकार ?क्या इसे ही अधिभार (वेटज) देना कहते हैं ?तदर्थ शिक्षकों के साथ इतना भद्दा मजाक क्यों ?क्या सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का यही सम्मान है?क्या यह समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है ?———————————————————————-सरकार और अफसरों के काबिलियत का सवाल है।या फिर सरकार के इरादे का ही सवाल है।———————————————————————- !!!!!!! हे ! सरकार !!!!!!!आखिर ! शिक्षकों के साथ आपका ऐसा बर्ताव क्यों है

लालमणि द्विवेदी प्रदेश महामंत्री.

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