शासनादेश व अधिनियम में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण को लेकर अलग-अलग प्रावधान

प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए जारी आरक्षण अधिनियम व शासनादेश में भिन्नता उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) की कई भर्तियों में रोड़ा बन गई है। आयोग ने शासन से इस विसंगति को जल्द दूर करने का आग्रह किया है। जिससे ठप पड़ी भर्ती कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके।

गौरतलब है कि कार्मिक विभाग ने 18 फरवरी 2019 को एक शासनादेश जारी किया था। इसमें केंद्र सरकार की तरह राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए अधिकतम 10% आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया तय की गई। इसमें स्पष्ट किया गया है कि लोक सेवाओं और पदों की सभी श्रेणियों में सीधी भर्ती की कार्रवाई में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था 1 फरवरी 2019 या इसके बाद अधिसूचित/ विज्ञापित होने वाली रिक्तियों पर प्रभावी होगी। 
इस शासनादेश को इससे संबंधित अधिनियम का हिस्सा घोषित किया गया है। अधिनियम में इससे भिन्न व्यवस्था भी जोड़ दी गई। आयोग तय नहीं कर पा रहा है कि वह शासनादेश पर अमल करे या अधिनियम को आधार बनाए। इस विसंगति की वजह से कई लंबित भर्तियों में आगे की कार्रवाई अटकी हुई है। 
आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस विसंगति को दूर करने की शक्ति राज्य सरकार में है। शासन को विसंगति की विस्तृत जानकारी देते हुए दूर करने का आग्रह किया गया है। शासन से स्थिति स्पष्ट होते ही भर्तियों से जुड़ी कार्यवाही आगे बढ़ जाएगी।

अधिनियम की व्यवस्था
8 सितंबर 2020  को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए 31 अगस्त की इससे संबंधित अधिनियम की अधिसूचना जारी की गई। इसमें प्रावधान किया गया कि यह कानून एक फरवरी 2019 से लागू होगा और उन भर्तियों में लागू नहीं होगा, जिनमें चयन प्रक्रिया इस अधिनियम के लागू होने के पूर्व आरंभ हो चुकी हो।

पर, इस अधिनियम की धारा-13 (1) से स्पष्टीकरण के जरिये दो शर्त जोड़ दी गई। पहली, यदि भर्ती का आधार लिखित परीक्षा व साक्षात्कार हो, वहां स्थिति के अनुसार लिखित परीक्षा व साक्षात्कार प्रारंभ हो जाने पर और दूसरा, यदि लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों हो, वहां लिखित परीक्षा प्रारंभ हो जाने पर इस कानून के लिए चयन प्रक्रिया आरंभ हुई समझी जाएगी।

विसंगति
18 फरवरी के शासनादेश के अनुसार कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था उन्हीं रिक्तियों पर प्रभावी होगी, जो 1 दिसंबर 2019 के बाद विज्ञापित हैं। जबकि अधिनियम की धारा-13 के प्रावधानों के अनुसार यह व्यवस्था उन रिक्तियों पर भी प्रभावी कर दी गई है, जो 1 फरवरी 2019 से पूर्व विज्ञापित कर दिए गए हैं, लेकिन उनकी परीक्षा इस तिथि के बाद आयोजित की गई है या की जानी प्रस्तावित है।  

अधिनियम लागू हो तो ज्यादा गरीबों को मिले आरक्षण का लाभ
अधिनियम की धारा-13 के प्रावधानों को प्रभावी माना जाता है तो एक फरवरी 2019 के पूर्व विज्ञापित पदों पर भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था लागू होगी। जबकि शासनादेश जो कि इसी अधिनियम का अंग हैं के प्रावधानों के अनुसार आरक्षण की व्यवस्था लागू नहीं मानी जा सकती। वजह इन मामलों में विज्ञप्ति का प्रकाशन 1 फरवरी 2019 के पूर्व ही हो चुका है। यदि अधिनियम लागू हो तो इन भर्तियों में भी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। 

इन भर्तियों पर असर
सम्मिलित तकनीकी सेवा (सामान्य चयन) परीक्षा 2016 (7 नवंबर 2016 को पद विज्ञापित, लिखित परीक्षा होनी है)
सम्मिलित अवर अभियंता एवं उप वास्तुविद (सामान्य चयन) प्रतियोगितात्मक परीक्षा 2016 (दो)। ( 27 दिसंबर 2016 को विज्ञापन, लिखित परीक्षा अभी नहीं हुई है)
सम्मिलित अवर अभियंता, संगणक एवं फोरमैन ( सामान्य चयन) प्रतियोगिता परीक्षा 2018 (30 अक्तूबर 2018 को पद विज्ञापित। लिखित परीक्षा अभी नहीं हुई है)
राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद संयुक्त संवर्ग प्रतियोगितात्मक परीक्षा 2018 (28 दिसंबर 2018 को पद विज्ञापित। लिखित परीक्षा आयोजित नहीं)
सम्मिलित अवर अधीनस्थ सेवा (सामान्य चयन) परीक्षा 2019 (30 जनवरी 2019 को पद विज्ञापित। प्रारंभिक लिखित परीक्षा संपन्न)

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