एसएनबी)। कोविड–१९ के चलते सरकार द्वारा यूपी बोर्ड परीक्षा रद्द करने के निर्णय से छात्रों ने राहत की सांस ली है। छात्रों का कहना है कि इस निर्णय से एक और जहां बोर्ड परीक्षा का तनाव कम होगा वही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अधिक समय मिल सकेगा। उधर सरकार द्वारा लिए गए परीक्षा रद्द करने के निर्णय का स्वागत करते हुए शिक्षाविदों का कहना है कि जो विद्यार्थी परीक्षा देना चाहते हैं‚ स्थितियां सामान्य होने पर उन्हें परीक्षा में शामिल होने का अवसर प्रदान किया जाए॥। ज्ञात हो इस वर्ष यूपी बोर्ड हाई स्कूल वा इंटरमीडिएट की परीक्षा देने के लिए राजधानी के विभिन्न विद्यालयों से १०३७५३ विद्यार्थियों ने रेगुलर रूप से अपना पंजीकरण कराया था। इनमें हाई स्कूल के ५४६१२ विद्यार्थी तथा इंटरमीडिएट के ४९१४८ विद्यार्थी शामिल है। इसके अतिरिक्त हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में २३३२ विद्यार्थियों ने प्राइवेट »प से पंजीकरण कराया था। बोर्ड परीक्षा रद्द होने से राजधानी के उक्त विद्यार्थियों ने राहत की सांस ली है जो अब तक परीक्षा को लेकर काफी तनाव में थे। हालांकि इस निर्णय से कुछ मेधावी विद्यार्थियों पर इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ा है। मेधावी छात्रों का कहना है कि परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए उन्होंने वर्ष भर जो मेहनत की है वह बेकार जाएगी। बोर्ड परीक्षा से जो अनुभव प्राप्त होता है वह भविष्य की सभी शैक्षिक प्रतियोगिताओं में काम आता है॥। इस संबंध में शिक्षाविद व माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डा. आर.पी. मिश्रा ने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि परीक्षा रद्द होने से बच्चों को तनाव से राहत मिलेगी। ऐसे में जो बच्चे आगे परीक्षा देना चाहते हैं उन्हें इसका अवसर प्रदान किया जाए। योगेश्वर ऋषिकल इंटर कॉलेज के प्रवक्ता डा. आर.के. त्रिवेदी का कहना है कि ऐसी महामारी के समय बच्चों की सÙरक्षा सबसे पहले हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यह निर्णय उचित है। इसके बाद जब स्थितियां सामान्य हो तो जो विद्यार्थी परीक्षा देना चाहते है उन्हें परीक्षा में शामिल किया जाए। राजकीय जुबली इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि परीक्षाएं तो आगे भी होती रहेंगी लेकिन इस महामारी के समय सुरक्षा प्राथमिकता पर है। उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी प्रमोट होने के बाद पुनः& बोर्ड की परीक्षा देना चाहते हैं उन्हें इस का अवसर अवश्य प्रदान किया जाए॥। एसकेडी अकैडमी के निदेशक मनीष सिंह ने बोर्ड परीक्षा रद्द करने के निर्णय को साहसिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि यूपी बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले अधिकांश विद्यार्थी ग्रामीण क्षेत्र के होते हैं। इस वर्ष कोरोना संक्रमण ग्रामीण क्षेत्रों में तीव्रता से फैला है जहां मेडिकल की सुविधाओं की उपलब्धता अनुकूल नहीं है इसलिए बच्चों की सुरक्षा को देखते हए यह निर्णय सही है क्योंकि बच्चों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है॥। ॥
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