भूमिका
इंस्पायर (इनोवेशन इन साइंस परसूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च) भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया इंस्पायर कार्यक्रम एक अनोखा कार्यक्रम है, जिसके तहत विज्ञान में बेहतरीन प्रतिभावान छात्रों को आकर्षित करने का प्रयास किया जायेगा, इसके साथ ही विज्ञान संबंधी रोजगार चुनने के लिए आवश्यक अवसरों के साथ उन्हें विज्ञान संबंधी रोजगारपरक शोध कार्यों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जायेगी।
इस कार्यक्रम के तहत लगभग 30 लाख युवाओं में विज्ञान के प्रति कार्य, वैज्ञानिक शोध और विज्ञान सीखने में मनोरंजन जैसी विधाओं का विकास कराया जायेगा। भारत सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 2 हजार करोड़ की लागत से नवम्बर 2008 में इंस्पायर योजना को अनुमति प्रदान की और प्रधानमंत्री ने 13 दिसम्बर, 2008 को इस योजना की शुरूआत की।
‘मानक’-छात्रों के लिए विज्ञान के अध्ययन की एक प्रेरणा
मिलियन माइंड्स आग्मेंटिग नेशनल आस्परेशन एंड नॉलेज (मानक) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो छात्रों के बीच मौजूद प्रतिभा को विज्ञान के अध्ययन के लिए और अनुसंधान कार्य में कैरियर निर्माण के लिए आकर्षित करता है।
घटक
इंस्पायर योजना कार्यक्रम के तीन घटक हैं –
1. विज्ञान में प्रतिभा के शुरूआती आकर्षण के लिए योजना
2. उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति
3. शोध कार्यों के लिए निश्चित प्रोत्साहन
- विज्ञान की ओर प्रतिभाओं की शुरूआती आकर्षण योजना (एसईएटीएस), के दो उप-घटक हैं- 5000 हजार रुपये का मानक पुरस्कार और किसी विज्ञान शिविर में वैश्विक विज्ञान अग्रणियों के माध्यम से मेंटरशिप।
- बी.एससी और एम.एससी स्तरों पर निरंतर शिक्षा के लिए 80,000 रुपये की दर से उच्चतर शिक्षा छात्रवृत्ति(एसएचई)।
- युवा अनुसंधानकर्ताओं के लिए अनुसंधान कैरियर हेतु आश्वस्त अवसर (एओआरसी) के भी दो उप-घटक हैं- मानक फेलोशिप और मानक संकाय।
जबकि, योजना के पहले घटक- मानक पुरस्कार का कार्यान्वयन राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के माध्यम से केन्द्रीय स्तर पर किया जाता है। योजना के अन्य घटक का क्रियान्वयन संबंधित शैक्षिक/अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों आदि के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा केन्द्रीय स्तर पर किया जाता है।
मानक पुरस्कार योजना का उद्देश्य 10-15 वर्ष के उम्र समूह छात्रों को विज्ञान के क्षेत्र में आकर्षित करने और कैरियर बनाने तथा अभिनवता का अनुभव करने के लिए उन्हें सुविधा प्रदान करना है।
मुख्य विशेषताएं
- योजना के अधीन 11वीं पंचवर्षीय योजना की मंजूरी के अनुसार पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान 5000 हजार रुपये के मानक पुरस्कार के लिए देश के प्रत्येक विद्यालय से दो छात्रों (छठी से लेकर 10वीं कक्षा तक) का चयन किया जाता है, ताकि वे विज्ञान के प्रोजेक्ट/मॉडल तैयार कर सकें। मानक पुरस्कार के लिए वारंट सीधे तौर पर चयनित छात्र के नाम से जारी किया जाता है और राज्य/स्कूल के अधिकारियों के माध्यम से उनके पास भेजा जाता है।
- योजना के अधीन सभी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के लिए जिला स्तरीय प्रदर्शनी और प्रोजेक्ट प्रतियोगिता (डीएलईपीसी) में भाग लेना जरूरी होता है। जिले से आई 5 से 10 प्रतिशत सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों का चयन राज्य स्तरीय प्रदर्शनियों और प्रोजेक्ट प्रतियोगिता (एसएलईपीसी) में भाग लेने के लिए किया जाता है।
- राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश से आई सर्वश्रेष्ठ 5 प्रतिशत प्रविष्टियों (कम से कम पांच) का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी और प्रोजेक्ट प्रतियोगिता (एनएलईपीसी) में भागीदारी के लिए किया जाता है। सभी स्तरों पर परियोजनाओं का मूल्यांकन विशेषज्ञों की एक निर्णायक समिति द्वारा किया जाता है।
- डीएलईपीसी, एसएलईपीसी और एनएलईपीसी के चयनित पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के साथ ही प्रोजेक्ट की तैयारी के लिए मार्गदर्शन देने वाले मेंटर/शिक्षक के लिए भागीदारी/मेधाविता प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनियां आयोजित करने पर आने वाली पूरी लागत का वहन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किया जाता है।
- मानक पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के लिए छात्रों का चयन प्रत्येक स्कूल के प्रधानाध्यापक/प्रधानाध्यापिका/प्रधानाचार्य द्वारा किया जाता है, जिनके लिए विज्ञान में रुचिरखने वाले सर्वश्रेष्ठ छात्र का नामांकन भेजना और इसके साथ ही नामांकन और चयन के लिए स्कूल द्वारा निर्धारित शर्तों का भी विवरण भेजना जरूरी है। जिला स्तर पर शिक्षा अधिकारी विहित प्रारूप में अपने क्षेत्राधिकार के विद्यालयों का विवरण तैयार करते हैं और राज्य स्तर पर शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से प्रस्ताव डीएसटी के पास भेजते हैं।
- छठी कक्षा से लेकर 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने वाले देश के सभी स्कूल चाहे वह सरकारी अथवा निजी हों, अनुदानप्राप्त हो अथवा बिना अनुदान हों, चाहे वे केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा स्थानीय निकायों द्वारा संचालित हों, इस योजना में भागीदारी के लिए पात्र हैं।
- राज्य के अधिकारियों से इस प्रकार प्राप्त किए गए प्रस्तावों के लिए योजना के मानकों के अनुसार डीएसटी में प्रक्रिया संचालित की जाती है और चयनित छात्रों के नाम से पुरस्कार वारंटों को तैयार करने के लिए डीएसटी के बैंकर के पास चयनित छात्रों की सूची भेज दी जाती है। बैंक से इस प्रकार प्राप्त पुरस्कार वारंटों को जिला स्तरीय शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से चयनित पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचाने के लिए राज्यस्तरीय अधिकारियों के पास भेज दिया जाता है।
कार्यान्वयन की पूर्व स्थिति
इस योजना में प्रतिवर्ष दो लाख पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के हिसाब से पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान एक मिलियन (10 लाख) छात्रों के चयन का लक्ष्य रखा गया। देश में छठी से लेकर 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई कराने वाले लगभग 4.5 से लेकर पांच लाख स्कूल हैं। यह योजना दिसम्बर 2009 के दौरान शुरू की गयी थी। हालांकि इसका कार्यान्वयन 2009-10 में ही शुरू हो पाया था तथा वर्ष के दौरान 1.26 लाख पुरस्कर मंजूर किए गए थे। इसके अलावा वर्ष 2010-11 के दौरान 2.50 लाख पुरस्कार मंजूर किए गए थे और अब तक 5,36,598 पुरस्कार मंजूर किए गए। और मानक पुरस्कार वारंटों के रूप में चयनित छात्रों के पास 268.30 करोड़ रुपये की धनराशि भेजी गई।
योजना की शुरूआत से लेकर डीएलईपीएससी में दो लाख से अधिक पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने भाग लिया। और डीएलईपीसी के चयनित लगभग 15 हजार पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने एसएलईपीसी में भाग लिया। और 14-16 अगस्त, 2011 के दौरान नई दिल्ली में आयोजित पहले एनएलईपीसी में लगभग 700 पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने भाग लिया। इस योजना में सभी 35 राज्य/केन्द्रशासित प्रदेशों ने भाग लिया। डीएलईपीसी, एसएलइ्रपीसी से संबंधित व्यय को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर के माध्यम से राज्य के नॉडल अधिकारी के पास उनके अधिसूचित बैंक खाते में धनराशि भेज दी जाती है।
12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान इस योजना के जारी रहने की संभावना है। यह संभव है कि इसका दायरा भी बढ़ाया जा सकता है और इसके अधीन प्रतिवर्ष प्रतिस्कूल एक पुरस्कार को मंजूरी देने का प्रस्ताव सरकार के विचारधीन है। यदि इसे मंजूरी मिलती है तो इसका अर्थ यह होगा कि पंचवर्षीय योजना अवधिके दौरान प्रतिवर्ष लगभग चार लाख पुरस्कारों के हिसाब से दो मिलियन (20 लाख) पुरस्कार को मंजूरी मिलेगी, इससे देश के 4.5 से लेकर पांच लाख स्कूलों में से लगभग 80 से 90 प्रतिशत स्कूलों की भागीदारी संभव हो सकेगी।
इंस्पायर इंटर्नशिप
इस योजना के तह दसवीं कक्षा के लगभग 50 हजार अग्रणी छात्रों के लिए 200 से अधिक जगहों पर वार्षिक आधार पर ग्रीटिंग्स शिविरों का आयोजन किया जाता है और उन्हें विज्ञान क्षेत्र के वैश्विक प्रमुखों के साथ- साथ नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ नई खोजों की ओर अग्रसित करा जाता है।
इतने बड़े कार्यक्रम को इसके स्वरूप, गति के साथ पारदर्शिता और निपुणता के साथ पूर्ण रूप में लागू करना अपने आप में एक चुनौती से कम नहीं है। अब तक देश भर में छात्रों के 4 लाख से ज्यादा इंस्पायर पुरस्कारों को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।