उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों में नए सत्र से न्यूनतम समान पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला ले लिया है। समान पाठ्यक्रम पहले ही तैयार करा लिया गया है। शासन ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को इसे 70 प्रतिशत लागू करना अनिवार्य होगा। वे चाहें तो इन पाठ्यक्रमों को शत-प्रतिशत भी लागू कर सकते हैं।
उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव मनोज कुमार ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को इस संबंध में पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति एवं राज्यपाल की अध्यक्षता में 6 जुलाई 2017 को आयोजित कुलपति सम्मेलन में न्यूनतम समान पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला किया गया था। इस फैसले के संबंध में संस्तुतियां उपलब्ध कराने के लिए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के तत्कालीन कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इस समिति की संस्तुतियां उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अपर सचिव ने शासन को उपलब्ध कराई थीं। विचार-विमर्श के बाद शासन ने उसे लागू करने का फैसला किया। तक स्तर पर कौशल विकास अनिवार्य होगा
शासन के आदेश से गठित कमेटी ने सभी विषयों का पाठ्यक्रम तैयार कराया है। पाठ्यक्रम की सामग्री सभी विश्वविद्यालयों को उलपब्ध करा दी गई है। विश्वविद्यालयों को यह छूट दी गई है कि वे अपनी स्थानिकता और विशिष्टता के आधार पर इसमें केवल 30 प्रतिशत संशोधन-परिवर्धन कर सकते हैं, लेकिन पाठ्यक्रमों को उसके मूल रूप में 70 प्रतिशत लागू करना अनिवार्य होगा। साथ ही यह फैसला भी लिया है कि रोजगार सृजन के लिए प्रत्येक विषय में स्नातक स्तर पर अंतिम वर्ष में कौशल विकास का एक पाठ्यक्रम अनिवार्य रूप से रखा जाए। इस पाठ्यक्रम के तहत अनिवार्य रूप से तीन माह का औद्योगिक प्रशिक्षण भी हो।