राज्य में २३ सितम्बर से कक्षा आठ तक के स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए भी खोलने की तैयारी कर रही सरकार ने बृहस्पतिवार को विधान परिषद में स्पष्ट किया कि स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी। यदि कोरोना संक्रमण या अन्य तरह से प्रतिकूल संकेत मिले तो स्कूलों को बंद भी किया जा सकता है॥। परिषद में प्रश्नकाल के दौरान शिक्षक सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी के सवाल पर नेता सदन उप मुख्यमंत्री ड़ा. दिनेश शर्मा ने कहा ‘बेसिक शिक्षा में उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया गया है। हमने नौ से १२ तक की कक्षाओं के लिए भी उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया है।’ उन्होंने कहा ‘अभिभावकों और शिक्षकों तथा राजनीतिक संगठनों द्वारा भी कहा गया है कि चाहे कम समय के लिए ही सही‚ लेकिन ऑफलाइन शिक्षण कार्य कराया जाए। प्रदेश में अभी जो वातावरण है‚ इसमें हम सुरक्षा की तरफ बढø़Ã चुके हैं। हर तरह के सुरक्षा के उपाय होंगे। लेकिन अगर चिंता के संकेत मिले तो हम स्कूल को बंद भी कर सकते हैं।’॥ शिक्षक सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से सवाल पूछा था कि क्या अभी तक टीका नहीं लगवाने वाले शिक्षकों और १८ साल से कम उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण की कोई व्यवस्था की गई है या नहींॽ क्यों कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश में बड़़ी संख्या में शिक्षकों व कर्मचारियों की मृत्यु हुई है। इसलिए अभियान चलाकर शिक्षकों और कर्मचारियों को टीके लगने चाहिए। सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने भी अनुपूरक प्रश्न के जरिए चिंता जताते हुए कहा कि टीकाकरण कराए बगैर छोटे बच्चों को स्कूल भेजना क्या खतरनाक नहीं हैॽ अधिष्ठाता नरेश उत्तम पटेल ने स्वास्थ्य मंत्री से कहा कि विद्यालय खुल गए हैं‚ ऐसे में कोविड़–१९ संक्रमण बच्चों में फैलने को लेकर जो चिंता है उसे कैसे दूर किया जाएगाॽ मंत्री श्री सिंह ने कहा कि १८ साल से कम आयु के लोगों के लिए अभी टीका बना ही नहीं है। उम्मीद है कि सितंबर अंत में यह टीका आ जाएगा॥।
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