Thursday, April 18, 2024
Secondary Education

मार्किंग क्राइटेरिया में हस्तक्षेप नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट

सहारा न्यूज ब्यूरो॥ नई दिल्ली॥। सीबीएसई तथा आईसीएसई बोर्ड की १२वीं की परीक्षा रद्द करने के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा‚ वह बोर्ड के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगा॥। जस्टिस अजय खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी ने कहा‚ बोर्ड की परीक्षा निरस्त करने का फैसला सर्वोच्च स्तर पर काफी सोच–समझकर लिया गया है। लगभग २० लाख छात्रों के भविष्य को देखकर यह निर्णय लिया गया है। यदि कुछ बोर्ड या संस्थान परीक्षा आयोजित करने का फैसला लेते हैं तो सीबीएसई उसे मानने के लिए बाध्य नहीं है। १२वीं की परीक्षा निरस्त करने का फैसला बोर्ड ने स्वतंत्र रूप से लिया है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने छात्रों के मूल्यांकन का तरीका निकाला है। इसमें न्यायपालिका के दखल की गुंजाइश नहीं है॥। सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट स्कूल के अध्यापक अंशुल गुप्ता की दलीलों से असहमति व्यक्त की। अंशुल गुप्ता परीक्षा रद्द करने के खिलाफ थे। उसका कहना था कि आईआईटी‚ एनडीए तथा अन्य शिक्षण संस्थान प्रवेश परीक्षा आयोजित कर रहे हैं। इन परीक्षाओं में छात्रों की भौतिक रूप से उपस्थित अनिवार्य है। यही छात्र इन प्रतियोगी परीक्षाओं में भी शामिल होंगे। इस कारण १२वीं की परीक्षा रद्द करना उचित नहीं है। अदालत ने जानना चाहा कि प्रवेश परीक्षा और बोर्ड की परीक्षा में कितने छात्र शामिल होते हैं। अदालत ने शिक्षक से सवाल किया कि यदि छात्र कोरोना से संक्रमित होते हैं तो क्या आप उसकी जिम्मेदारी लेंगे॥। उत्तर–प्रदेश अभिभावक संघ के अधिवक्ता विकास सिंह ने आशंका व्यक्त की कि मूल्यांकन के तरीके में हेराफेरी हो सकती है। मूल्यांकन में उन छात्रों को बढ़त मिल सकती है‚ जिनका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है। अदालत ने कहा‚ मूल्यांकन से असंतुष्ट छात्र बाद में होने वाली परीक्षा में रिजल्ट सुधार सकते हैं। वकील का तर्क था कि इस समय कोरोना का संक्रमण ढल रहा है। परीक्षा जुलाई में कराई जा सकती है। बोर्ड अगस्त–सितम्बर में परीक्षा आयोजित करने की बात कर रहा है‚ जबकि उस *समय तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है॥।

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