उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के तहत हिंदी के चयनित अभ्यर्थियों की फाइलें इस माह माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को भेज देगा। हालांकि फाइलें पहले ही निदेशालय को मिल जानी चाहिए थीं, लेकिन अर्हता के विवाद और अन्य कारणों से फाइलें आयोग में ही अटकी रह गईं। आयोग के अफसरों का कहना है कि दिसंबर के अंत तक फाइलें निदेशालय को भेजे जाने की तैयारी है। इसके बाद ही निदेशालय स्तर से चयनित अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित होंगे और नियुक्ति पत्र मिलेंगे।
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एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 29 जुलाई 2018 का आयोजित की गई थी। 35 विषयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों के 10768 पदों पर भर्ती होनी थी। हिंदी और सामाजिक विज्ञान को छोड़कर बाकी विषयों का रिजल्ट काफी पहले घोषित कर दिया गया था। पेपर लीक मामले में हिंदी एवं सामाजिक विज्ञान विषय का रिजल्ट अटका रहा। एसटीएफ की ओर से पेपर लीक मामले में अंतिम चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद आयोग ने हिंदी और सामाजिक विज्ञान विषय का रिजल्ट जारी किया। हिंदी में एलटी ग्रेड शिक्षक के 1433 पद थे, जिनमें से 1431 पदों पर अभ्यर्थियों को अंतिम रूप से चयनित घोषित किया गया।
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चयनित अभ्यर्थियों के अभिलेखों की सत्यापन प्रक्रिया एक माह पहले पूरी हो चुकी है। एलटी समर्थक मोर्चा के संयोजक विक्की खान का कहना है कि आयोग चयनित अभ्यर्थियों की फाइलें उच्च शिक्षा निदेशालय को भेजने में जितनी देर करेगा, अभ्यर्थियों को उतना ही नुकसान होगा। इसका असर वेतन, भत्तों और इंक्रीमेंट पर पड़ेगा। एक साथ चयनित होने के बावजूद हिंदी के चयनित अभ्यर्थी अन्य विषयों के चयनित अभ्यर्थियों से जूनियर हो जाएंगे। हिंदी के चयनित अभ्यर्थियों ने मांग की है कि उनकी फाइलें माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को जल्द भेजी जाएं, ताकि काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू हो सके और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल सके। इस बारे में आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि चयनित अभ्यर्थियों की फाइलें निर्धारित प्रक्रिया के तहत निदेशालय को इसी माह भेज दी जाएगी।
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अर्हता के विवाद में जा सकती है कई की नौकरी
हिंदी विषय में अर्हता के विवाद के कारण कई अभ्यर्थियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। आयोग ने विज्ञापन में अर्हता निर्धारित की थी कि बीए में हिंदी एवं इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय के साथ बीएड की उपाधि होनी चाहिए। बहुत से ऐसे अभ्यर्थियों ने भी फॉर्म भर दिए थे, जिनके पास इंटर में संस्कृत विषय नहीं था। ऐसे अभ्यर्थियों ने हिंदी एवं संस्कृत से बीए किया और उनके पास बीएड की उपाधि थी। यह अर्हता माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की शिक्षक भर्ती में मान्य होती है, लेकिन आयोग ने ऐसे अभ्यर्थियों को अर्ह नहीं माना। इन परिस्थितियों में तकरीबन 200 चयनित अभ्यर्थियों को बाहर किया जा सकता है। अभिलेख सत्यापन के दौरान इनसे अलग से फॉर्म भी भरवाए गए हैं।
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