महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले (11 अप्रैल 1827 – 27नवम्बर 1890 एक भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले एवं ”जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।[2]
इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया.१९ वी सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थीं।[3]
कराड में स्थित ज्योतिबा फुले की एक मूर्ति
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827 ई. में पुणे में हुआ था। एक वर्ष की अवस्था में ही इनकी माता का निधन हो गया। इनका लालन-पालन एक बायी ने किया। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था। इसलिए माली के काम में लगे ये लोग ‘फुले’ के नाम से जाने जाते थे। ज्योतिबा ने कुछ समय पहले तक मराठी में अध्ययन किया, बीच में पढाई छूट गई और बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढाई पूरी की। इनका विवाह 1840 में सावित्री बाई से हुआ, जो बाद में स्वयं एक प्रसिद्ध समाजसेवी बनीं। दलित व स्त्रीशिक्षा के क्षेत्र में दोनों पति-पत्नी ने मिलकर काम किया वह एक कर्मठ और समाजसेवी की भावना रखने वाले व्यक्ति थे।[4]
उन्होंने विधवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए बहुत काम किया, इसके साथ ही किसानों की हालत सुधारने और उनके कल्याण के लिए भी काफी प्रयास किये। स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए फुले ने 1848 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था। लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री फुले को इस योग्य बना दिया। उच्च वर्ग के लोगों ने आरम्भ से ही उनके काम में बाधा डालने की चेष्टा की, किंतु जब फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर दबाब डालकर पति-पत्नी को घर से निकालवा दिया इससे कुछ समय के लिए उनका काम रुका अवश्य, पर शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के तीन स्कूल खोल दिए।[5]
ज्योतिबा को संत-महत्माओं की जीवनियाँ पढ़ने में बड़ी रुचि थी। उन्हें ज्ञान हुआ कि जब भगवान के सामने सब नर-नारी समान हैं तो उनमें ऊँच-नीच का भेद क्यों होना चाहिए। स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1848 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था। लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया। कुछ लोगों ने आरम्भ से ही उनके काम में बाधा डालने की चेष्टा की, किंतु जब फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर दबाब डालकर पति-पत्नी को घर से निकालवा दिया इससे कुछ समय के लिए उनका काम रुका अवश्य, पर शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के तीन स्कूल खोल दिए[6]।
जोतिराव फुले व सावित्रीबाई फुले के पुतले, औरंगपुरा, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
गरीबो और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने ‘सत्यशोधक समाज‘ 1873 मे स्थापित किया। उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ई. में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें ‘महात्मा‘ की उपाधि दी। ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरम्भ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे। अपने जीवन काल में उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं-गुलामगिरी, तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, राजा भोसला का पखड़ा, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफियत. महात्मा ज्योतिबा व उनके संगठन के संघर्ष के कारण सरकार ने ‘एग्रीकल्चर एक्ट’ पास किया। धर्म, समाज और परम्पराओं के सत्य को सामने लाने हेतु उन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी.[7]
- ब्रिटिश सरकार द्वारा उपाधि: १८८३ में स्री यो को शिक्षा प्रदान कराने के महान कार्य के लिए उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश भारत सरकार द्वारा “स्त्री शिक्षण के आद्यजनक” कहकर गौरव किया।
महान समाजसेवी, विचारक, दार्शनिक एवं लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। वे जीवनपर्यंत महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध रहे। समाज सुधार के प्रति उनकी निष्ठा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।Twitter · 3 घंटे पहलेPrakash Javadekar
@PrakashJavdekar
महान विचारक, समाजसेवी, लेखक ज्योतिराव गोविंदराव फुले जी को उनकी जयंती पर श्रद्धापूर्वक नमन। उन्होंने महिलाओं के लिए देश का पहला महिला शिक्षा स्कूल खोला था व भारतीय समाज में होने वाले जातिगत आधारित विभाजन और भेदभाव को खत्म करने में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया । #jyotibaphuleTwitter · 3 घंटे पहलेAnil Firojiya
@bjpanilfirojiya
महान विचारक, समाजसेवी एवं महिलाओं व दलितों के उत्थान के प्रबल समर्थक महात्मा #ज्योतिबा_फुले जी की जयंती पर उन्हें नमन। #jyotibaphuleTwitter · 33 सेकंड पहलेRajesh Chudasama
@rajeshchudasma
महान भारतीय विचारक, समाज सुधारक, लेखक एवं दार्शनिक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर शत्-शत् नमन।Twitter · 2 मिनट पहलेMann Ki Baat Updates मन की बात अपडेट्स
@mannkibaat
“आज 11 अप्रैल यानि ज्योतिबा फुले जयंती से हम देशवासी ‘टीका उत्सव’ की शुरुआत कर रहे हैं। ये ‘टीका उत्सव’ 14 अप्रैल यानि बाबा साहेब आंबेडकर जयंती तक चलेगा।” – पीएम श्री @narendramodi . #IndiaFightsCorona #LargestVaccineDriveTwitter · 3 मिनट पहलेIshwarsinh T Patel
@patelishwarsinh
समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए सतत संघर्ष करने वाले सुप्रसिद्ध समाज सचेतक एवं विचारक, स्त्री शिक्षा के प्रणेता महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जन्म जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन करता हूं। #JyotibaPhuleJayanti #JyotiraoPhuleTwitter · 4 मिनट पहलेVijaya Rahatkar
@VijayaRahatkar
विद्या बिना मति गयी, मति बिना नीति गयी, नीति बिना गति गयी, गति बिना वित्त गया, वित्त बिना शूद गये, इतने अनर्थ एक अविद्या ने किये। : महात्मा ज्योतिबा फुले जी को कोटि कोटि नमनTwitter · 6 मिनट पहलेAditya Shankar
@adishanks
महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले जी की जयंती पर शत्-शत् नमन ।Twitter · 6 मिनट पहलेNeeraj Dangi
@NeerajDangiINC
सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ने वाले महान विचारक, समाजसेवी “महात्मा ज्योतिबा फुले जी” की जयंती पर उन्हे मेरा शत-शत नमन lTwitter · 9 मिनट पहलेDr.K.C.Patel
@DrKCPatel4
सत्यशोधक समाज के संस्थापक, महिलाओं, पिछड़ों, गरीबों और निर्बल वर्ग के उत्थान एवं शिक्षित करने के प्रबल समर्थक रहे, उत्कृष्ट समाजसेवी “महात्मा ज्योतिबा फुले जी” की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन। आपके आदर्श एवं विचार सदैव सभी के लिए अनुकरणीय है। #JyotibaPhule🇮🇳Twitter · 10 मिनट पहलेShankar Lalwani – #StaySafe
@iShankarLalwani
नारी शिक्षा के प्रखर समर्थक, समाज सुधारक एवं विचारक, ज्योतिराव फुले जी की पुण्यतिथि पर आत्मिक नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि।Twitter · 11 मिनट पहलेLalan Kumar
@LalanKumarINC
महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिए निरंतर कार्य करने वाले भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता “महात्मा ज्योतिबा फुले” जी की जयंती पर शत शत नमन।Twitter · 11 मिनट पहलेRamvichar Netam
@RamvicharNetam
दलित और महिला उत्थान के लिये समर्पित, नारी शिक्षा की अलख जगाने वाले, प्रसिद्ध समाज सुधारक श्री ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर शत शत नमन ।Twitter · 14 मिनट पहले#आंदोलनजीवी Devashish Jarariya
@jarariya91
महान समाज सुधारक,गरीव एवं शोषित वर्गों के उत्थान के लिए जीवन पर्यन्त संघर्षरत रहने वाले महात्मा ज्योतिबा फूले की जयंती पर शत-शत नमन। #jyotibaphuleTwitter · 15 मिनट पहलेJai Prakash
@JPBhaiBJP
दलितों और महिलाओं के उत्थान को सदैव समर्पित रहने वाले महान समाज सेवक, दार्शनिक व सत्यशोधक समाज के संस्थापक महात्मा ज्योतिबा फूले जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन |Twitter · 16 मिनट पहलेPramod Tiwari
@pramodtiwari700
लेखक एवं दार्शनिक, दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए सदैव संघर्षरत, समाज सुधारक, महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर शत शत नमन। #MahatmaJyotibaPhuleTwitter · 16 मिनट पहलेTwitter पर देखें