देश के सभी 23 आईआईटी और 31 एनआईटी अब बहुविषयक (मल्टीडिसीप्लिनरी) पढ़ाई भी करवाएंगे। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शैक्षणिक सत्र 2021 से आईआईटी और एनआईटी ऐसे मल्टीडिसीप्लिनरी इंस्टीट्यूट बनेंगे, जोकि देश के अन्य प्रमुख संस्थानों के लिए रोल मॉडल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मल्टीडिसीप्लिनरी पढ़ाई पर जोर दे रहे हैं।
इन संस्थानों में मल्टीडिसीप्लिनरी में इंजीनियरिंग के साथ ह्यूमैनिटीज, ओपन बॉयोलोजिक्ल साइंसेज और नेचुरल साइंस आदि कोर एरिया के विषय भी जुड़ेंगे। इसके अलावा दोनों संस्थानों के वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधन, महामारी, प्रदूषण, स्वच्छ जल और कृषि आदि विषयों पर एकसाथ काम करेंगे।
सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नई शिक्षा नीति में मल्टीडिसीप्लिनरी पढ़ाई पर फोकस किया गया है। इसी के तहत आईआईटी और एनआईटी से इसकी शुरुआत होगा। इसका मकसद दोनों प्रौद्योगिकी प्रमुख संस्थान इंजीनियरिंग के साथ आम जन-जीवन और देश केविकास के लिए दिक्कतों के समाधान कर सकें।
अभी तक दोनों संस्थान इंजीनियरिंग के अलावा मैनेजमेंट में काम कर रहे हैं। इसके अलावा प्रमुख आईआईटी एम्स जैसे संस्थानों के साथ मिलकर विभिन्न बीमारियों के इलाज में तकनीक तैयार करने पर काम कर रहे हैं।
हालांकि अब ह्यूमैनिटीज, ओपन बॉयोलोजिकल साइंस के स्कूल भी प्रौद्योगिकी संस्थानों में खुलेंगे। इसके माध्यम से पारपंरिक इंजीनियरिंग स्कूल और नए जमाने के यह स्कूल मिलकर बीटेक, एमटेक और पीएचडी में पढ़ाई और शोधकार्य करेंगे। क्योंकि 21वीं सदी में ऐसे बहुविषयक पढ़ाई में नालेज रखने वालों की ही मांग होगी।
21वीं सदी की दिक्कतों का समाधान जरूरी:
21वीं सदी में जलवायु परिवर्तन, बढ़ता प्रदूषण, स्वच्छ पानी की कमी, जनसंख्या में बढ़ोतरी, कोविड जैसी महामारी, नए तरह की बीमारियां, प्राकृतिक घटते संसाधान आदि बड़ी दिक्कत है। इन्हें फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बॉयोलॉजी, एग्रीकल्चर, सोशल साइंस आदि के समिश्रिण से ही हल निकलेगा।