Friday, April 19, 2024
Secondary Education

तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाईयों को दूर करना)

अति उत्तर प्रदेश माध्यमिका शिक्षा विधि (संशोधन) अधिनियम, 1975

आदेश, 1975 संख्या मा4696/1572(8)75 शिक्षा (7) अनुभाग 

अति उत्तर प्रदेश माध्यमिका शिक्षा विधि (संशोधन) अधिनियम, 1975

लखनऊ : दिनांक : 18 अगस्त, 1975 संख्या 26, 1975) की धारा 14 के कतिपय उपबन्धों को प्रभावी बनाने में कठिनाई उत्पन्न हुई है। अतएव, अब, उपर्युक्त अधिनियम की धारा 22 द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करके राज्यपाल महोदय निम्नलिखित आदेश देना आवश्यक समझते हैं : 

1. (1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाईयों को दूर करना) आदेश, 1975 कहलायेगा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2. (क) उपर्युक्त अधिनियम की धारा 14 में किसी बात के होते हुये भी, चालू शिक्षा सत्र के दौरान किसी संस्था के प्रधान या संस्था के किसी अध्यापक के पद में कोई मौलिक या अवकाश रिक्ति या कोई वर्तमान या होने वाली रिक्ति प्रबन्ध समिति द्वारा आगे व्यवस्थित रीति से तदर्थ आधार पर उतनी अवधि तक के लिये भरी जा सकती है जो किसी भी दशा में छ: मास से अधिक न हो, जब तक कि उपर्युक्त धारा 14 के अनुसार यथाविधि चयन किया गया कोई व्यक्ति ऐसी रिक्ति पर नियुक्त न किया जाय। 

(ख) संस्था के प्रधान की रिक्ति :- . (1) इण्टरमीडिएट कालेज की दशा में, प्राध्यापक की श्रेणी में सस्था के वरिष्ठतम अध्यापक द्वारा; 

(2) चालू शिक्षा सत्र के दौरान इण्टरमीडिएट कालेज के स्तर तक बढ़ाये गये हाईस्कूल या हाईस्कूल के स्तर तक बढ़ाये गये जूनियर हाईस्कूल की दशा में, यथास्थिति, ऐसे हाईस्कूल या जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा भरी जायेगी : 

प्रतिबन्ध यह है कि यथास्थिति, ऐसे ज्येष्ठतम अध्यापक या प्रधानाध्यापक का सेवा-अभिलेख अच्छा हो। और वह प्रशासनिक योग्यता रखता हो; 

(ग) प्राध्यापक श्रेणी या एल0टी0 श्रेणी या सी0टी0 श्रेणी के किसी अध्यापक के पद में रिक्ति क्रमशः एल0टी0 श्रेणी, सी0टी0 श्रेणी और जे० टी०सी०/ बी0टी0सी0 श्रेणी के ज्येष्ठतम अध्यापक दाय भरी जायेगी। 

(घ) जहाँ पूर्ववर्ती खण्डों में निर्धारित रीति से कोई रिक्ति न भरी जा सकती हो वहाँ रिति उतनी ही अधिकतम अवधि के लिये, जितनी कि खण्ड (क) में निर्धारित है, तीन सदस्यों की एक चयन समिति द्वारा जिसे इस प्रयोजन के लिये प्रबन्ध-समिति द्वारा तदर्थ आधार पर गठित सकता है. चयन के पश्चात् बाहृय अभ्यर्थियों की नियुक्ति करके तदर्थ आधार पर भरा 

(ङ) खण्ड (ख), (ग) या (घ) के अधीन नियुक्त किये जाने का पात्र होने के लिये किसी व्यानि में माध्यमिक शिक्षा परिषद के कलेण्डर के अध्याय दो के विनियम 1 में निर्दिष्ट परिशिष्ट “क” में विद्धित न्यूनतम अर्हतायें होनी चाहिये। 

(च) जहाँ मतभेद या विवाद के कारण अथवा किसी अन्य कारणवश कोई ऐसी प्रबन्ध समिति न हो जिसका संस्था के कार्यकलापों के सम्बन्ध में वास्तविक नियंत्रण हो या उसे उक्त रूप में निरीक्षक द्वारा मान्यता न दी गई हो तथा ऐसी संस्था के सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा कोई प्राधिकत नियंत्रक नियुक्त न किया गया हो वहाँ पूर्ववर्ती खण्डों में उल्लिखित प्रबन्ध समिति की शक्तियों का प्रयोग संसा 285 

शक्ति की दशा में, सम्बद्ध 

286/ इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ के प्रधान की नियुक्ति की दशा में, निरीक्षक द्वारा और किसी अध्याप की नियुक्ति की । संस्था के प्रधान द्वारा किया जायेगा। 

(छ) पूर्ववर्ती खण्डों के अधीन की गई समस्त नियुक्तियों की सूचना, यथाशीघ्र निरी जाएगी जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के सम्बन्ध में उसकी अर्हताओं तथा अनुभव के. ब्यौरे दिये जा निरीक्षक को पूर्ववर्ती उपबन्धों के उल्लंघन में की गई किसी नियुक्ति को अनुमोदित कर होगी जिस पर प्रश्नगत नियुक्ति समाप्त हो जायेगी। इस सम्बन्ध में निरीक्षक का विनिश्चय अर 

शीघ्र निरीक्षक को दी और दिये जायेंगे और दित करने की शक्ति विनिश्चय अन्तिम होगा। 

आज्ञा से 

शशि भूषण शरण,    

सचिव।

उ० प्र० माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (द्वितीय) आदेश, 1976 

__ संख्या मा०/687/पन्द्रह (7)/1976 शिक्षा (7) अनुभाग 

… लखनऊ : दिनांक : 17 फरवरी, 1976 1- संक्षिप्त नाम व प्रारम्भ (1) यह उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (द्वितीय) आदेश, 1976 कहा जायेगा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। .. 2- परिभाषायें, इस आदेश में, जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो; 

(क) “अधिनियम” का तात्पर्य यू0पी0 इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 से है। 

(ख) “संशोधन अधिनियम” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विधि (संशोधन) अधिनियम, 1975 से है; 

(ग) “कठिनाइयों को दूर करना (प्रथम) आदेश” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 1975 से है जो उत्तर प्रदेश असाधारण गजट दिनांक 18 अगस्त, 1975 में उसी दिनांक की अधिसूचना संख्या मा०/4696/15-7-28)/75 के अधीन प्रकाशित किया गया है। 

3- अधिनियम के द्वारा अधीन, जैसा स्पष्टता उपबन्धित है, उसके सिवाय : 

(क) कोई प्रस्ताव, जो अधिनियम की धारा 16-च की उपधारा (2) के अधीन 7 जुलाई, 1975 के पूर्व प्राप्त हो गया था और जिस पर कोई निर्णय किसी वाद या कार्यवाही में दिये गये किसी आदेश के कारण नहीं दिया जा सका; उस वाद या कार्यवाही का अन्तिम रूप से निस्तारण किये जाने पर और उसमें किसी सक्षम न्यायालय द्वारा दिये गये किसी. निदेश की अधीनता में निरीक्षक द्वारा अध्यापक का स्थिति में और सम्भागीय उपशिक्षा निदेशक द्वारा प्रिन्सिपल या प्रधानाध्यापक की स्थिति में धारा 16 (च) की उपधारा (2) और उपधारा (3) के उपबन्धों के अनुसार, जैसा कि वह संशोधन अधिनियम के किय जाने के पूर्व था, निर्णीत किया जायेगा; 

कद्वारा 

(ख) कोई प्रत्यावेदन, जो अधिनियम की धारा 16 (च) की उपधारा (3) के अधीन प्रबन्धतन्त्र किया गया था और जो संशोधन अधिनियम के प्रारम्भ के दिनांक की स्थिति में और शिक्षा निदेशक प्रिन्सिपल या प्रधानाध्यापक की स्थिति में धारा 16 (च) की उपधारा (3) के उपबन्धों के अनुसार, कि वह सशोधन अधिनियम के अधिनियमित किये जाने के पर्व था. निर्णीत किया जायेगा : 

प्रतिबन्ध यह है कि बालिका विद्यालय की स्थिति में, उपशिक्षा निदेशक (महिला) इस खडक उन शक्तियों का प्रयोग आर उन कर्तव्यों का पालन करेगी. जो सम्भावना नदेशक का किये गये हों या सौंपे गये हों। 

। के अनुसार, जैसा 

(महिला) इस खंड के अधीन उप शिक्षा निदेशक को प्रदत्त 

इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ / 287 कठिनाइयों को दूर करना (प्रथम) आदेश के खण्ड 2 के उप खण्ड (क) में 1) शब्द “छ: मास से अधिक के स्थान पर शब्द “30 जन. 1976 के पश्चात’ रख दिये जायेंगे। to अन्त में निम्नलिखित प्रतिबन्धात्मक खण्ड बढ़ा दिया जायगा : 

“प्रतिबन्ध यह है कि दीर्घावकाश वेतन विकेशन पे) ऐसे तदर्थ रूप से नियुक्त किये गये संस्था के प्रधान या अध्यापक को ही अनुमन्य होगा जिसने ऐसी नियक्ति के दिनांक से शिक्षा-सत्र के अन्तिम कार्य दिवस तक कम से कम छ: मास की अवधि के लिये अविछिन्न रूप में और संतोषजनक ढंग से कार्य किया हो।” 

आज्ञा से शशि भूषण शरण, 

सचिव। 

३ 

उ०प्र० माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (तृतीय) आदेश, 1976 

संख्या मा०/2125/पन्द्रह (7)-76-2(28)/1975 शिक्षा (1) अनुभाग 

लखनऊ : दिनांक : 28 जून, 1976 … 1-(1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (तृतीय) आदेश, 1976 

कहा जायेगा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (तृतीय) आदेश, 1976 द्वारा संशोधित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 1975 के खण्ड 2 के उपखण्ड (क) में शब्द “30 जून, 1976 के पश्चात्” के स्थान पर शब्द “30 सितम्बर, 1976 के पश्चात्” रख दिये 

– आज्ञा से शशि भूषण शरण, 

आयुक्त एवं सचिव 

000 उ०प्र० माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (चतुर्थ) आदेश, 1976 

संख्या मा०/5131-पन्द्रह-7-76-2(28)/75 . 

लखनऊ : दिनांक : 24 दिसम्बर, 1976 शिक्षा (7) अनुभाग 

1-(1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (चतुर्थी आदेश 107 कहा जायेगा। 

जा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (तृतीय) आदेश, 1976 द्वारा संशोधित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 1975 के खण्ड 2 के उपखण्ड (क) में शब्द “30 सितम्बर, 1976 के पश्चात्” के स्थान पर शब्द “15 नवम्बर, 1976 के पश्चात्” रख 

दिया जायँ। 

आज्ञा से शशि भूषण शरण, आयुक्त एवं सचिव 

000 

.7 नवम्बर, 1976 

ना) (पंचम) आदेश, 1976 

288 / इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ 

उ०प्र० माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम) आदेश, 10. 

संख्या मा०/8170/पन्द्रह-7-76-2(18)/1975 . शिक्षा (7) अनुभाग 

1-(1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम और कहा जायेगा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2- जब तक कि सन्दर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, इस आदेश में 

(क) “अधिनियम” का तात्पर्य इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 (संयुक्त प्रान्त अमित संख्या 2, 1921) से है। 

(ख) “प्रबन्ध-समिति” में प्राधिकृत नियंत्रक या कोई अन्य व्यक्ति भी सम्मिलित है जिसमें तल प्रवृत्त किसी विधि के अधीन संस्था का प्रबन्ध करने का प्राधिकार निहित हो। . . (ग) “अध्यापक” का तात्पर्य किसी मान्यता प्राप्त इण्टरमीडिएट कालेज, हायर सेकेण्डरी स्कल या हाई स्कूल के अध्यापक (जो संस्था का प्रधान न हो) से है, और इसमें बालिकाओं की किसी संस्था में नियुक्त पुरूष अध्यापक और बालकों की संस्था में नियुक्त अध्यापिका भी सम्मिलित हैं। 

___3- जहाँ कोई व्यक्ति प्रबन्ध समिति द्वारा निरीक्षक के अनुमोदन या उसकी अनुज्ञा से 30 जन. 1975 को या उसके पूर्व अध्यापक के रूप में किसी अवधि के लिए अस्थायी आधार पर नियुक्त किया गया था और ऐसे व्यक्ति ने तत्पश्चात 15 नवम्बर, 1976 तक कार्य किया है, वहाँ यह समझा जायेगा कि वह व्यक्ति 

(क) यदि नियुक्ति प्रारम्भ में स्पष्ट रिक्ति में की गयी थी तो नियुक्ति के दिनांक से; 

(ख) यदि नियुक्ति प्रारम्भ में किसी अवकाश रिक्ति या सत्र के किसी भाग के लिए होने वाली रिक्ति में या स्पष्ट रिक्ति से भिन्न रिक्ति में की गयी थी तो उस दिनांक से, जब ऐसी रिक्ति ने स्पष्ट रिक्ति का स्वरूप ग्रहण कर लिया हो। 

(ग) यदि नियुक्ति प्रारम्भ में ऐसे पद पर की गयी थी जिसके सृजन के सम्बन्ध में बाद में इस निमित्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृति दी गयी थी, तो ऐसी स्वीकृति के दिनांक से। .. (घ) यदि प्रारम्भिक नियुक्ति के समय उसके पास विहित प्रशिक्षण अर्हताएँ नहीं थीं, तो ऐसी प्रशिक्षण 

अर्हता प्राप्त करने के दिनांक से-मौलिक रूप में नियुक्ति किया गया है : . 

किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि उपखण्ड (क) (ख) और (ग) में निर्दिष्ट मामलों में ऐसा व्यक्ति विहित अर्हताएँ रखता हो या उसे न्यूनतम अर्हता की अपेक्षाओं से छूट दी गयी हो और तत्समय प्रवृत्त विधि के अनुसार उसका यथाविधि चयन किया गया हो तथा उसकी नियुक्ति की गयी हो। 

स्पष्टीकरण : ऐसी अवधि जो अध्यापक की नियुक्ति के दिनांक और 15 नवम्बर, 1975 के बीच की हो. जिसके दौरान ऐसा कोई अध्यापक किसी कारण से, जो उसके दराचरण या उसके स्वय अनरोध से न हो, काम से अलग हो गया हो इस खण्ड के प्रयोजनों के लिए सेवा में व्यवधान नहीं होगा 

4. खण्ड 3 के अधीन मौलिक रूप से नियुक्त समझा गया कोई अध्यापक मौलिक नियुक्ति दिनांक से परिवीक्षा पर समझा जायेगा और अधिनियम तथा तदधीन बनाये गये विनियमों के उपब 

के अधीन रहते हुए स्थायी कर दिया जायेगा। 

. इस आदेश की किसी बात से यह अर्थ नहीं लगाया जायेगा कि वह किसी अध्यापक का। ऐसी अवधि के लिए जिसमें उसकी सेवाएँ विच्छिन्न कर दी गयी थीं किसी वेतन या भत्ते का हकम बनाती है। ध्यापक को किसी 

इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ / 289 6- खण्ड 3 की कोई बात किसी अध्यापक को किसी पद पर मौलिक नियक्ति का हकदार नहीं नरोगी यदि इस आदेश के प्रकाशित होने के दिनांक को अधिनियम और तदधीन बनाये गये विनियमों के निसार ऐसा पद पहले ही भर लिया गया हो। या ऐसे पद के लिए चयन पहले ही कर लिया गया है। 

जहाँ प्रबन्ध समिति ने कोई पद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों का दूर कर आदेश, 1975 के अधीन व्यक्ति को नियुक्ति करके भर लिया है, वहाँ वह पद 31 दिसम्बर, 1976 या अधिनियम और तद्धीन बनाये गये विनियमों के अनुसार नियमित नियक्ति किये जाने तक, जो भी पहले हो, 

(क) यदि ऐसा व्यक्ति उस पद पर 15 नवम्बर, 1976 को था, तो उसके द्वारा धारण किया जायेगा। .(ख) यदि 15 नवम्बर, 1976 को ऐसा व्यक्ति उस पद पर नहीं था या ऐसा पद अन्यथा रिक्त था तो ऐसे अन्य व्यक्ति द्वारा धारण किया जायेगा जिसे प्रबन्ध समिति अस्थायी रूप से नियुक्त कर । 

आज्ञा से, शशि भूषण शरण, 

आयुक्त एवं संचिव। 

उ०प्र० माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1977 

___संख्या मा०/316/पन्द्रह-7-772(3)/1977 शिक्षा (7) अनुभाग 

लखनऊ : दिनांक : 21 जनवरी, 1977 1- यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1977 कहा जायेगा। 

2- इस आदेश में शब्द “अधिनियम”, “प्रबन्ध-समिति”, तथा “अध्यापक” के वही अर्थ होंगे जो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1976 में क्रमशः उनके लिये दिये गये हैं। 

3-जहाँ किसी पद पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 1975 अथवा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम) आदेश, 1976 के अधीन प्रबन्ध 

मिति द्वारा नियुक्त कोई व्यक्ति 31 दिसम्बर, 1976 को आसीन था और ऐसे पद पर उक्त दिनांक .. पश्चात् अधिनियम और उसके अधीन बनाये गये विनियमों के अनुसार कोई नियुक्ति नहीं की गई है वहाँ ऐसे पद पर ऐसा व्यक्ति 20 मई, 1976 तक या अधिनियम और उसके अधीन बनाये गये विनियमों के अधीन किसी व्यक्ति की नियुक्ति तक, जो भी पहले हो, आसीन रहेगा। 

आज्ञा से शशि भूषण शरण, 

आयुक्त एवं सचिव। 

उ०प्र० माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (सप्तम) आदेश, 1977 

संख्या मा०/3691/पन्द्रह-777-2(18)/75 शिक्षा (7) अनुभाग 

– लखनऊ : दिनांक : 16 अगस्त, 1977 1. यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (सप्तम) आदेश, 1977 कहा जायेगा। .2- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1977 में, खण्ड 3 के पश्चात् निम्नलिखित खण्ड 4 बढ़ा दिया जायेगा, अर्थात् 

इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ / 289 6- खण्ड 3 की कोई बात किसी अध्यापक को किसी पद पर मौलिक नियुक्ति का हकदार नहीं नायेगी यदि इस आदेश के प्रकाशित होने के दिनांक को अधिनियम और तदधीन बनाये गये विनियों के अनसार ऐसा पद पहले ही भर लिया गया हो। या ऐसे पद के लिए चयन पहले ही कर लिया गया है। 

7. जहाँ प्रबन्ध समिति ने कोई पद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 1975 के अधीन व्यक्ति को नियुक्ति करके भर लिया है वहाँ वह पद 31 दिसम्बर, 1976 या अधिनियम और तद्धीन बनाये गये विनियमों के अनुसार नियमित नियुक्ति किये जाने तक, जो भी पहले हो, 

(क) यदि ऐसा व्यक्ति उस पद पर 15 नवम्बर, 1976 को था, तो उसके द्वारा धारण किया जायेगा। (ख) यदि 15 नवम्बर, 1976 को ऐसा व्यक्ति उस पद पर नहीं था या ऐसा पद अन्यथा रिक्त तो ऐसे अन्य व्यक्ति द्वारा धारण किया जायेगा जिसे प्रबन्ध समिति अस्थायी रूप से नियुक्त कर । 

आज्ञा से, शशि भूषण शरण, आयुक्त एवं संचिव। 

उ०प्र० माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1977 

सख्या मा०/316/पन्द्रह-7-772(3)/1977 शिक्षा (7) अनुभाग 

. लखनऊ : दिनांक : 21 जनवरी, 1977 1- यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1977 कहा जायेगा। 

2- इस आदेश में शब्द “अधिनियम”, “प्रबन्ध-समिति”, तथा “अध्यापक” के वही अर्थ होंगे जो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1976 में क्रमशः उनके लिये दिये गये हैं। 

3- जहाँ किसी पद पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 1975 अथवा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम) आदेश, 1976 के अधीन प्रबन्ध मिति द्वारा नियुक्त कोई व्यक्ति 31 दिसम्बर, 1976 को आसीन था और ऐसे पद पर उक्त दिनांक .. पश्चात् अधिनियम और उसके अधीन बनाये गये विनियमों के अनुसार कोई नियुक्ति नहीं की गई है वहाँ ऐसे पद पर ऐसा व्यक्ति 20 मई, 1976 तक या अधिनियम और उसके अधीन बनाये गये . विनियमों के अधीन किसी व्यक्ति की नियुक्ति तक, जो भी पहले हो, आसीन रहेगा। 

आज्ञा से शशि भूषण शरण, 

आयुक्त एवं सचिव। 

उ०प्र० माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (सप्तम) आदेश, 197

संख्या मा०/3691/पन्द्रह-7-77-2(18)/75 शिक्षा (7) अनुभाग 

लखनऊ : दिनांक : 16 अगस्त, 1977 1- यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (सप्तम) आदेश, 1977 

कहा जायेगा। 

2- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1977 में, खण्ड 3 के पश्चात् निम्नलिखित खण्ड 4 बढ़ा दिया जायेगा, अर्थात् 

‘290 / इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ 

__4. जहाँ उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम) आदेश 3 के उपखण्ड (घ) में निर्दिष्ट संस्था के ऐसे अध्यापक को जिसने शिक्षा विभाग द्वारा न सेवा कालीन अध्यापकों की प्रशिक्षण योजना के अधीन शिक्षा सत्र 1976-77 में प्रशिक्षा प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात् सफल घोषित किया जाय, वही पद पर मौलिक नियुक्ति के के प्रयोजनार्थ यह समझा जायेगा कि वह पूर्ववर्ती खण्ड 3 में किसी बात के होते हुये भी । के अध्यापक के पद पर ऐसे प्रशिक्षण के परिणाम की घोषणा के दिनांक तक पूर्ववत् रहा और पद पर मौलिक रूप में नियुक्त किया गया समझा जायेगा, बशर्ते कि इस बीच कोई अन्य अधिनियम और उसके अधीन बनाये गये विनियमों के अनुसार उस पद पर नियुक्त न किया ग 

और ऐसी मौलिक नियुक्ति का दिनांक ऐसे प्रशिक्षण के परिणाम की घोषणा का दिनांक होगा। … स्पष्टीकरण : यहाँ दी गई किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जायेगा कि कोई अध्यापक जी किसी अवधि के लिये, जब वह सेवा से अलंग रहा हो, किसी वेतन या भत्ते को हकदार होगा। 

1976 के खण्डू 

चलायी जा रही पशिक्षण लिया हो. शक्ति के लिये पात्रता 

ये भी, उस संस्था रहा और उसे ऐसे 

ह 

– 

आज्ञा से जी0पी0 मित्तल 

आयोग/चयन बोर्ड के गठन के बाद कठिनाई निवारण आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 1981 

(उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग और चयन बोर्ड अध्यादेश, 1981 (उत्तर प्रदेश अध्यादेश संख्या 8, 1981) की धारा 33 के अधीन)। 

(जैसा कि उ0प्र0 सरकारी असाधारण गजट दिनांक 31 जुलाई, 1981 में अधिसूचना संख्या मात्र 4993/15-7-1(79)-1981, दिनांक 31 जुलाई, 1981 में प्रकाशित) 

. चूँकि इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के अधीन मान्यता प्राप्त संस्थाओं के अध्यापकों के चयन के लिये माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग और छः या इससे अधिक माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड स्थापित करने की दृष्टि से 10 जुलाई, 1981 को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग और चयन बोर्ड अध्यादेश, 1981 (उत्तर प्रदेश अध्यादेश संख्या 8, 1981) प्रख्यापित किया गया था, 

और चूँकि आयोग और चयन-बोर्डो की स्थापना करने में कुछ समय लगने की सम्भावना है और उक्त आयोग और बोर्डो की स्थापना होने के पश्चात् भी प्रथम कुछ महीनों के लिये अध्यापकों के चयन करना सम्भव नहीं है। 

और चकि इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के अधीन मान्यता प्राप्त विभिन्न संस्थाओं में अध्यापक के अनेक पद रिक्त हैं और ऐसी रिक्तियों के न भरने में विलम्ब करने से कठिनाइयाँ उत्पन्न होने की सम्भावना है। 

अतएवं, अब उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग और चयन बोर्ड अध्यादेश. 1981 (उत्तर प्रदेश अध्यादेश संख्या 8, 1981) की धारा 33 के अधीन शक्ति का प्रयोग करके राज्यपाल निदेश देते हैं कि उक्त अध्यादेश के उपबन्ध निम्नलिखित आदेश के उपबन्धों के अधीन रहते हए प्रभावी होंगे 

1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ. (1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) अध्यादेश, 1981 कहा जायगा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2. रिक्तियाँ जिनमें तदर्थ नियुक्ति की जा सकती है. किसी संस्था का प्रबन्धतंत्र निम्नलिखित दशाओं में इस आदेश के उपबन्धों के अनुसार किसी अध्यापक को पदोन्नति या सीधी भर्ती द्वारा नितान्तः 

तदर्थ आधार 

मृत्यु, सेवा 

.. इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ / 291 आधार पर नियुक्त कर सकता है, अर्थात (क) इस आदेश के प्रारम्भ के दिनांक की विद्यमान किसी ऐसी मौलिक रिक्ति की स्थिति में जो 

निवत्ति, पद त्याग या अन्य प्रकार से हुई हो; ” . ख) किसी छुट्टी की रिक्ति की स्थिति में, जहाँ सम्पूर्ण छटी या उसका असमाप्त भाग ऐस प्रारम्भ दिनांक को दो मास से अधिक अवधि के लिये हो. 

(ग) जहाँ खण्ड (क) या खण्ड (ख) में विनिर्दिष्ट प्रकार की रिक्ति ऐसे प्रारम्भ के दिनांक के पश्चात् मास की अवधि के भीतर होती हो। 

3. तदर्थ नियुक्तियों के अवधि.-पैरा 2 के अधीन प्रत्येक तदर्थ अध्यापक की नियुक्ति निम्नलिखित दिनांकों में से शीघ्रातिशीघ्र दिनांक से प्रभावी न रह जायगी; अर्थात् 

(क) जब आयोग या बोर्ड द्वारा संस्तुत अभ्यर्थी पद का कार्यभार ग्रहण कर ले; या (ख) जब ऐसी तदर्थ नियुक्ति के दिनांक से छ: मास की अवधि समाप्त हो जाय। 

4. पदोन्नति द्वास तदर्थ नियुक्ति.-(1) किसी संस्थाध्यक्ष के पद की प्रत्येक रिक्ति (क) किसी इण्टरमीडिएट कालेज की स्थिति में, प्रवक्ता की श्रेणी में, संस्था के ज्येष्ठतम अध्यापक 

द्वारा; 

(ख) इण्टरमीडिएट कालेज के स्तर तक बढ़ाये गये हाईस्कूल की स्थिति में ऐसे हाईस्कूल के प्रधान अध्यापक द्वारा; 

(ग) हाईस्कूल के स्तर तक बढ़ाये गये जूनियर हाईस्कूल की स्थिति में ऐसे जूनियर हाईस्कूल के प्रधान अध्यापक द्वारा; पदोन्नति द्वारा भरी जायेगी। 

(2) प्रवक्ता की श्रेणी में किसी अध्यापक के पद पर प्रत्येक रिक्ति प्रशिक्षित स्नातक (एल0टी0) श्रेणी में संस्था के ज्येष्ठतम अध्यापक की पदोन्नति करके भी भरी जा सकती है। … (3) प्रशिक्षित स्नातक (एल०टी०) श्रेणी में किसी अध्यापक के पद पर प्रत्येक रिक्ति प्रशिक्षित अधिस्नातक (सी0टी0) श्रेणी में संस्था के ज्येष्ठतम अध्यापक की पदोन्नति करके भरी जायेगी। 

(4) प्रशिक्षित अधिस्नातक (सी0टी0) श्रेणी में किसी अध्यापक के पद पर प्रत्येक रिक्त जे0टी0सी0 श्रेणी या बी0टी0सी0 श्रेणी में संस्था के ज्येष्ठतम अध्यापक की पदोन्नति करके भरी जायेगी। 

स्पष्टीकरण : इस पैरा के खण्ड (1) से (4) के प्रयोजनों के लिये, पद “ज्येष्ठतम अध्यापक” का तात्पर्य, यथास्थिति, प्रवक्ता श्रेणी या प्रशिक्षित स्नातक (एल0टी0) श्रेणी या प्रशिक्षित अधिस्नातक (सी0टी0) श्रेणी या जे0टी0सी0 या बी0टी0सी0 श्रेणी में ऐसे अध्यापक से है जिसकी संस्था में अधिकतम अनवरत सेवा हो। 

5. सीधी भर्ती द्वारा तदर्थ नियुक्ति.-(1) जहाँ पैरा 4 के अधीन कोई रिक्ति पदोन्नति द्वारा नहीं भरी जा सकती हो वहाँ उसे खण्ड (2) से (5) के अनुसार सीधी भर्ती द्वारा भरी जा सकती है। 

(2) प्रबन्ध-तंत्र, यथाशीघ्र, रिक्ति के ब्यौरे के बारे में जिला विद्यालय निरीक्षक को सचित करेगा और ऐसा निरीक्षक, स्थानीय सेवायोजन कार्यालय से और कम से कम दो समाचार पत्रों में, जिनका उत्तर प्रदेश में पर्याप्त परिचलन हो, सार्वजनिक विद्यापन के माध्यम से भी आवेदन पत्र आमंत्रित करेगा। 

(3) खण्ड (2) में विनिर्दिष्ट प्रत्येक आवेदन पत्र जिला विद्यालय निरीक्षक को सम्बोधित किया जायगा और उसके साथ निम्नलिखित संलग्न होंगे : 

(क) ऐसे निरीक्षक को देय दस रूपये मूल्य का रेखांकित पोस्टल आर्डर; (ख) अपना पता लिखा लिफाफा, जिसमें रजिस्ट्रीकरण के प्रयोजन के लिये डाक टिकट हो। (4) जिला विद्यालय निरीक्षक परिशिष्ट में विनिर्दिष्ट गुणांकों के आधार पर सर्वोत्तम अभ्यर्थियों को 

292/ इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ चुनेगा। गुणांकों का संकलन ऐसे निरीक्षकों के व्यक्तिगत पर्यवेक्षण के अधीन सेवानिवत्त सरकारी सेवकों द्वारा पारिश्रमिक के आधार पर किया जा सकता है। . ___(5) यदि एकाधिक संस्था के लिये उसी विषय या श्रेणी के एकाधिक अध्यापक भर्ती किये जा तो चुने हुये अध्यापकों और संस्थाओं के नाम हिन्दी वर्ण के माला क्रम में रखे जायेंगे। अभ्यर्थी नाम सूची में ऊपर आयें, उन्हें, उस संस्था को प्रदिष्ट किया जायेगा जिनका नाम संस्था की सनी अपर आया हो। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता रहेगा जब तक कि दोनों सूचियाँ समाप्त नहीं 

हो जाती। 

स्पष्टीकरणः महिलाओं को शिक्षा देने वाली संस्था के सम्बन्ध में पद “जिला विद्यालय निरीक्षक का तात्पर्य “सम्भागीय बालिका विद्यालय निरीक्षका” से है। 

6. नियुक्ति की अर्हताएं.-पैरा 4 या 5 के अधीन किसी अध्यापक की प्रत्येक नियुक्ति निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी, अर्थात् 

– (क) पदोन्नति या सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त किये जाने वाले अभ्यर्थी को इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के अधीन बनायी गयी विनियमावली के अध्याय दो, के विनियम (1) में निर्दिष्ट परिशिष्ट “क” में निर्धारित आवश्यक अर्हतायें पूरी करनी चाहिये। 

(ख) पैरा 5 के अधीन सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त किया जाने वाला अभ्यर्थी इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 की अनुसूची दो में उपदर्शित रीति से प्रबन्ध सीमित के किसी सदस्य से सम्बन्धित नहीं होगी। 

(ग) पैरा 4 के अधीन पदोन्नति द्वारा नियुक्त किये जाने वाले अभ्यर्थी को आदेश के प्रारम्भ के दिनांक से पूर्व मौलिक रूप से संस्था में सेवारत अवश्य होना चाहिये।। 

7. विवाद निदेशक को निर्दिष्ट किया जायेंगे.-(1) इस आदेश के अधीन पदोन्नति या सीधी भर्ती से सम्बद्ध प्रत्येक विवाद निदेशक को निर्दिष्ट किया जायेगा और उस पर उनका विनिश्चय अन्तिम होगा। 

(2) खण्ड (1) की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, निदेशक को परिशिष्ट में उल्लिखित गुणांकों के अधिनियम से यह आदेश के अनुसार किसी पदोन्नति या सीधी भर्ती की विधिमान्यता या 

औचित्य से सम्बन्धित परिवाद की. यदि कोई हो, जाँच करने और ऐसे आदेश के उल्लंघन में की गई किसी पदोन्नति, भर्ती या नियुक्ति को रदद करने की शक्ति होगी। 

परिशिष्ट 

सीधी भर्ती द्वारा अध्यापकों के चयन हेतु गुणांक (1) प्रशिक्षित अधिस्नातक वेतनक्रम (सी0टी0 व बी0टी0सी0) 

परीक्षा प्रथम श्रेणी द्वितीय श्रेणी ततीय श्रेणी 

2 हाईस्कूल इण्टरमीडिएट स्नातक उपाधि 

परास्नातक उपाधि – प्रशिक्षण 

इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ / 293 | प्रशिक्षित स्नातक वेतनक्रम (एल0टी0) क्र०-सं0 . परीक्षा 

प्रथम श्रेणी द्वितीय श्रेणी 1 

तृतीय श्रेणी 

हाईस्कूल इण्टरमीडिएट स्नातक उपाधि परास्नातक उपाधि 

प्रशिक्षण (3) प्रवक्ता वेतन क्रम : क्र0-सं0 . परीक्षा 

प्रथम श्रेणी द्वितीय श्रेणी तृतीय श्रेणी 

5 हाईस्कूल इण्टरमीडिएट स्नातक उपाधि – 16 परास्नातक उपाधि 32 

कठिनाईयों को दूर करना आदेश (द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ) समाप्त 

उत्तर प्रदेश सरकार 

विधाई अनुभाग – 1 … संख्या 132/सत्रह-वि-1-2 (क) 5-1999 

लखनऊ, 25 जनवरी, 1999 

अधिसूचना 

..विविध संविधान के अनुच्छेद 213 के खण्ड (1) द्वारा प्राप्त शक्तियों के प्रयोग करके, राज्यपाल महोदय ने निम्नलिखित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) अध्यादेश, 1999 उत्तर प्रदेश अध्यादेश संख्या 5 सन 1999 प्रख्यापित किया है जो इस अधिसूचना द्वारा सर्वसाधारण को सूचनार्थ प्रकाशित किया जाता है। 

16 

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) अध्यादेश, 1999 

. (उ० प्र० अध्यादेश संख्या 5 सन् 1999) उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 का अग्रतर संशोधन करने के लिए। 

अध्यादेश चूँकि राज्य विधान मण्डल सत्र में नहीं हैं और राज्यपाल का यह समाधान हो गया है कि ऐसी पारस्थितियां विद्यमान हैं, जिनके कारण उन्हें तुरन्त कार्यवाही करना आवश्यक हो गया है। 

अतएव, अब संविधान के अनुच्छेद 213 के खण्ड (1) द्वारा शक्ति का प्रयोग करके राज्यपाल 

294 / इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ निम्नलिखित अध्यादेश प्रख्यापित करते हैं 

3. संक्षिप्त नाम- यह अध्यादेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन अध्यादेश 1999 कहा जायेगा। 

1. उ० प्र० अधिनियम संख्या 5 सन् 1982 में नई धारा 33-ड़ का बढ़ाया जाना है-उल्ला प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम, 1982 की धारा 33–घ के पश्चात निम्नलिखित धारा बढ़ा दी जायेगी, अर्थात : . “33-ड़ आदेशों को विखण्डन- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दर करना) आदेश, 1981, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (द्वितीय) आदेश, 1981, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (तृतीय) आदेश, 1982 और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (चतुर्थ) आदेश, 1982 एतद्द्वारा विखण्डित किये जाते हैं। 

सूरज भान राज्यपाल, उत्तर प्रदेश। 

आज्ञा से, योगेन्द्र राम त्रिपाठी (प्रमुख सचिव) 

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) 1983

(पंचम) आदेश, 1983 . संख्या-मा०/3557/15-7-5(2) लखनऊ : दिनांक : 13 जुलाई, 1983 

1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ.-(1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम) आदेश, 1983 कहा जायेगा। . 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2. नियुक्तियों का विनियमितीकरण.-(1) ऐसे किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में जो 

(एक) जिला परिषद् द्वारा अनुरक्षित किसी हाईस्कूल या इण्टरमीडिएट कालेज में 10 जुलाई, 1981 को या इसके पूर्व, विहित प्रक्रिया का अनुसरण किये बिना अध्यापक या संस्था के प्रधान के रूप में नियुक्त किया गया हो, और 

(दो) अपेक्षित विहित अर्हता रखता हो, स्थायी या अस्थायी रिक्ति में जो भी उपलब्ध हो, उसके अभिलेख और उपयुक्तता के आधार पर नियमित नियुक्ति के लिये विचार किया जायेगा। 

(2) पैरा (एक) के प्रयोजन के लिये नियुक्ति प्राधिकारी एक चयन समिति का गठन करेगा जिसमें शिक्षा विभाग के एक अधिकारी सहित, जो उपनिदेशक, शिक्षा से निम्न पद का नहीं होगा और जिसे शिक्षा निदेशक द्वारा नाम निर्दिष्ट किया जायेगा, तीन सदस्य होंगे और इसके लिये आयोग से परामर्श करना 

आवश्यक न होगा। 

(3) नियुक्ति प्राधिकारी अभ्यर्थियों की एक सूची तैयार करेगा और उसे चयन समिति के समझ उनकी चरित्र पंजियों और उनसे सम्बन्धित ऐसे अन्य अभिलेखों के साथ, जो आवश्यक समझे जायं, रखंगा। चयन समिति यदि उचित समझे, अभ्यर्थियों का साक्षात्कार भी कर सकती हैं। , 

(4) चयन समिति नियमित नियुक्ति के लिये ऐसे अभ्यर्थियों की सिफारिश करेगी जिन्हें वह उपयुक्त समझे। 

वाली रिक्ति में 

इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ / 295 किसी अध्यापक या संस्था के प्रधान को, जो उपयुक्त पाया जाय, 

यदि नियुक्ति प्रारम्भ में स्पष्ट रिक्ति में की गयी हो तो नियक्ति के दिनांक से; वो यदि नियुक्ति प्रारम्भ में किसी अवकाश रिक्ति से या सत्र के किसी एक भाग के लिये होने क्ति में की गयी हो तो उस दिनांक से जब ऐसी रिक्ति स्पष्ट रिक्ति हो गयी हो, (ग) यदि नियुक्ति प्रारम्भ में किसी ऐसे पद पर की गयी हो जिसके सृजन की स्वीकृति बाद में निमित्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गयी हो तो ऐसी स्वीकृति के दिनांक से 

(घ) यदि वह प्रारम्भिक नियुक्ति के समय विहित अर्हता न रखता हो तो ऐसी अर्हता के अर्जित 

के दिनांक से, मौलिक रूप में नियुक्त किया गया समझा जायेगा। (6) यदि किसी अध्यापक या संस्था का प्रधान अनुपयक्त पाया जाये तो उसके मामले को सरकार निर्दिष्ट किया जायेगा और सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा। 

(1) नियुक्ति प्राधिकारी नियुक्ति का औपचारिक पत्र जारी करेगा जिसमें ऐसा दिनांक इंगित किया जायेगा जब से अध्यापक या संस्था का प्रधान मौलिक रूप से नियुक्त किया गया समझा जायगा। 

(8) उन व्यक्तियों की, जिन्हें पैरा (4) के अधीन चयन समिति द्वारा या पैरा (6) के अधीन सरकार द्वारा उपयुक्त न पाया जाय, सेवायें तत्काल समाप्त कर दी जायगी और उसी समाप्ति पर वे एक मास का वेतन पाने के हकदार होंगे। 

रमेश चन्द्र त्रिपाठी 

सचिव। 

आज्ञा से, 

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) 

(षष्ठम) आदेश, 1983 संख्या-मा०/3556/15-7-5(5)-81, 

लखनऊ : दिनांक : 13 जुलाई, 1983 ___ 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भः (1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1983 कहा जायेगा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा! 

2. कतिपय नियक्तियों का विनियमितीकरण- किसी नगर महापालिका द्वारा अनुरक्षित किसी हाईस्कूल या इण्टरमीडिएट कालेज में 25 अप्रैल, 1978 से 10 जुलाई, 1981 की अवधि में उत्तर प्रदेश नगर महापलिका अधिनियम, 1959 के उपबन्धों के अधीन बनायी गयी उत्तर प्रदेश नगर महापालिका शिक्षा सेवा नियमावली, 1971 और उत्तर प्रदेश नगर महापलिका शैक्षिक सेवायें (पदनाम, अर्हतायें, वेतनमान, भर्ती की रीति तथा सवारी भत्ता) आदेश, 1973 के अनुसार नियुक्त अध्यापक इस शर्त के अधीन रहते हए कि ऐसा अध्यापक नियुक्ति के समय विहित अर्हता रखता था। 

(क) यदि नियक्ति प्रारम्भ में स्पष्ट रिक्ति में की गयी हों, तो ऐसी नियक्ति के दिन 

(ख) यदि नियक्ति प्रारम्भ में किसी अवकाश रिक्ति में या सत्र के किसी भाग केला रिक्ति में या स्पष्ट रिक्ति से भिन्न रिक्ति में की गयी हो तो उस दिनांक से, जब ऐसी रिक्ति स्पष्ट 

रिक्ति हो गयी हो। 

(ग) यदि नियक्ति प्रारम्भ में किसी ऐसे पद पर की गयी हो जिसके सजन की स्वीकति बाद में इस निमित्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गयी हो तो ऐसे सृजन के दिनांक से, मौलिक रूप में नियुक्ति 

रमेश चन्द्र त्रिपाठी, सचिव। 

किया गया समझा जायेगा। 

वाली रिति 

२ 

इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ / 295 । किसी अध्यापक या संस्था के प्रधान को, जो उपयुक्त पाया जाय, 

यदि नियुक्ति प्रारम्भ में स्पष्ट रिक्ति में की गयी हो तो नियक्ति के दिनांक से; 

यदि नियुक्ति प्रारम्भ में किसी अवकाश रिक्ति से या सत्र के किसी एक भाग के लिये होने रिक्ति में की गयी हो तो उस दिनांक से जब ऐसी रिक्ति स्पष्ट रिक्ति हो गयी हो, 

गो यदि नियुक्ति प्रारम्भ में किसी ऐसे पद पर की गयी हो जिसके सजन की स्वीकृति बाद में निमित्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गयी हो तो ऐसी स्वीकृति के दिनांक से (घ) यदि वह प्रारम्भिक नियुक्ति के समय विहित अर्हता न रखता हो तो ऐसी अर्हता के अर्जित 

दिनांक से, मौलिक रूप में नियुक्त किया गया समझा जायेगा। 

यदि किसी अध्यापक या संस्था का प्रधान अनुपयक्त पाया जाये तो उसके मामल का सरकार नर्टिष्ट किया जायेगा और सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा। 

(7) नियुक्ति प्राधिकारी नियुक्ति का औपचारिक पत्र जारी करेगा जिसमें ऐसा दिनांक इंगित किया जायेगा जब से अध्यापक या संस्था का प्रधान मौलिक रूप से नियुक्त किया गया समझा जायेगा। 

(8) उन व्यक्तियों की. जिन्हें पैरा (4) के अधीन चयन समिति द्वारा या पैरा (6) के अधीन सरकार द्वारा उपयुक्त न पाया जाय, सेवायें तत्काल समाप्त कर दी जायगी और उसी समाप्ति पर वे एक मास का वेतन पाने के हकदार होंगे। 

आज्ञा से, रमेश चन्द्र त्रिपाठी 

सचिव। 

000 उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) 

(षष्ठम) आदेश, 1983 संख्या-मा०/3556/15-7-5(5)-81, 

___लखनऊ : दिनांक : 13 जुलाई, 1983 – 1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भः (1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (षष्ठम) आदेश, 1983 कहा जायेगा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2. कतिपय नियुक्तियों का विनियमितीकरण- किसी नगर महापालिका द्वारा अनुरक्षित किसी हाईस्कूल या इण्टरमीडिएट कालेज में 25 अप्रैल, 1978 से 10 जुलाई, 1981 की अवधि में उत्तर प्रदेश नगर महापलिका अधिनियम, 1959 के उपबन्धों के अधीन बनायी गयी उत्तर प्रदेश नगर महापालिका शिक्षा सेवा नियमावली, 1971 और उत्तर प्रदेश नगर महापलिका शैक्षिक सेवायें (पदनाम अर्हतारों वेतनमान, भर्ती की रीति तथा सवारी भत्ता) आदेश, 1973 के अनुसार नियुक्त अध्यापक इस शर्त के अधीन रहते हए कि ऐसा अध्यापक नियुक्ति के समय विहित अर्हता रखता था। 

(क) यदि नियक्ति प्रारम्भ में स्पष्ट रिक्ति में की गयी हो, तो ऐसी नियक्ति के दिनांक 

(ख) यदि नियक्ति प्रारम्भ में किसी अवकाश रिक्ति में या सत्र के किसी भाग के लिए होने वाली रिक्ति में या स्पष्ट रिक्ति से भिन्न रिक्ति में की गयी हो तो उस दिनांक से, जब ऐसी रिक्ति स्पष्ट रिक्ति हो गयी हो। 

(ग) यदि नियक्ति प्रारम्भ में किसी ऐसे पद पर की गयी हो जिसके सृजन की स्वीकृति बाद में इस निमित्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गयी हो तो ऐसे सृजन के दिनांक से, मौलिक रूप में नियक्ति किया गया समझा जायेगा। 

रमेश चन्द्र त्रिपाठी, सचिव ।

तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण 2016

2155 तदर्थ प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक होंगे विनियमित: अशासकीय  सहायताप्राप्त माध्यमिक शिक्षकों को सौगात देने की तैयारी शिक्षा निदेशक ...

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