किसी समय नौकरी की गारंटी माने जाने वाले डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) कोर्स को करने के बाद ढाई लाख से अधिक युवा बेरोजगारों की भीड़ में खड़े हैं। यूपी में पिछले चार सालों में बीटीसी या डीएलएड प्रशिक्षण लेने वाले 1.88 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को नौकरी नहीं मिल सकी है। 2018 में बीएड को परिषदीय प्राथमिक स्कूलों की भर्ती में मान्य किए जाने के बाद डीएलएड वालों के लिए सरकारी टीचरी की राह और कठिन हो गई है। बीटीसी 2013 चतुर्थ सेमेस्टर का परिणाम 6 सितंबर 2016 को घोषित हुआ था। उसके बाद से बीटीसी 2015 और डीएलएड 2017 बैच का परिणाम घोषित हो चुका है। जबकि डीएलएड 2018 बैच चतुर्थ सेमेस्टर के 79831 प्रशिक्षु नवंबर में परीक्षा देकर परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।
इस बीच बेसिक शिक्षा परिषद ने प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत पांच राउंड में अब तक 45469 प्रशिक्षुओं का चयन किया है। 69000 भर्ती में 67867 की चयन प्रक्रिया चल रही है। 69000 में बीएड अभ्यर्थियों को भी मौका मिलने से डीएलएड चयनितों की संख्या कम है। 69000 की लिखित परीक्षा में 146060 सफल थे जिनमें 97368 बीएड और 38610 डीएलएड प्रशिक्षु थे। 67867 की चयन सूची में 17 से 20 हजार डीएलएड प्रशिक्षुओं के ही चयन का अनुमान है। इस हिसाब से दो बड़ी भर्तियों में 65 हजार के आसपास डीएलएड या बीटीसी प्रशिक्षु का चयन हो सका है।
रजत सिंह (प्रदेश अध्यक्ष, डीएलएड संयुक्त प्रशिक्षु मोर्चा उत्तर प्रदेश) ने कहा, हम डीएलएड 17 बैच से हैं। हमें सेमेस्टर और टीईटी पास किए एक साल से ज्यादा हो गए हैं और आगामी शिक्षक भर्ती का अभी तक कोई पता नहीं है। साथ ही प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीएड को शामिल करने से डीएलएड का हक भी छीना जा रहा है।