लखनऊ। मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश में मोदी सरकार द्वारा लागू नई शिक्षा नीति को लेकर ने कहा है कि देश में लंबे इंतज़ार के बाद एक ऐसी शिक्षा नीति लागू हुई है, जो सच्चे मायने में भारतीय है, भारत के वास्तविक स्वरुप की झलक लिए है। इसका फोकस सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी को विकसित करने पर है। यह नीति ‘ज्ञानोदय से राष्ट्रोदय’ का माध्यम है। इस नवीन नीति की भावनाओं के अनुसार इसका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन करने के लिए उत्तर प्रदेश हर प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री योगी ने यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पदाधिकारियों एवं शिक्षाविदों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों और उसके क्रियान्वयन के लिए जरूरी प्रयासों पर विमर्श करने के दौरान कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा से जुड़े सभी प्रकल्पों को कार्ययोजना बनाकर काम करना होगा। पाठ्यक्रम तय करने से लेकर पठन-पाठन और मूल्यांकन की व्यवस्था तक में हर स्तर पर भविष्य की जरूरतों के अनुसार बदलाव करते हुए ऐसी शिक्षण प्रणाली विकसित करें, जो औरों के लिए अनुकरणीय बने। इसके लिए शिक्षाविदों, छात्रों, अभिभावकों सहित सभी संबंधित पक्षों की सलाह ली जानी चाहिए।
न्यास के पदाधिकारियों को भविष्य की जरूरतों के हिसाब से मुख्यमंत्री ने पिछले पौने चार वर्ष में प्रदेश के शिक्षा जगत में गुणात्मक सुधार के लिए किए गए प्रयासों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश में काम शुरू हो चुका है। इसके एक्शन प्लान को एक टाइमलाइन से जोड़ना होगा।
सीएम योगी ने कहा कि स्कूली स्तर के पाठ्यक्रम, ग्रामीण स्तर में पढ़ने वाले विद्यालयों के बच्चों के मनोभावों के आधार पर भी तैयार होना चाहिए। बच्चों का स्तर, भाषा शैली, परिवार और परिवेश का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमें शिक्षा प्रणाली में सिर्फ रटने वाली कला को विकसित नहीं करना है , बल्कि ज्ञान बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
इस विमर्श के दौरान शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि स्थानीयता को इस शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है ताकि व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास से सम्बन्धित प्रावधानों को हर जिले और क्षेत्र के स्तर पर आवश्यकताओं के अनुरूप क्रियान्वयन हो सके तथा जो स्थानीय कृषि, उद्योग और वहां की नागरिक आवश्यकताओं को पूरा कर सके। इसके परिणाम स्वरूप हम आत्मनिर्भर भारत की ओर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने वैदिक गणित, कृषि शिक्षा जैसे विषयों को शिक्षा में जरूरी बताते हुए इस सम्बन्ध में पठन-पाठन में विशेष बदलाव की जरूरत पर बल दिया। साथ ही, शिक्षण संस्थानों में काउंसिलिंग सेंटर की स्थापना कर वहां करियर के साथ-साथ छात्रों के निजी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास पर भी जोर दिया।
उच्च शिक्षा में एनईपी के क्रियान्वयन पर चर्चा करते हुए पंकज मित्तल ने कहा कि सूबे में नई नीति के ज्यादातर हिस्सों के अनुपालन में विश्वविद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण है। मल्टी डिसिप्लिनरी अध्ययन इस नीति का महत्वपूर्ण तत्व है। एक छात्र एक समय में अपनी रुचि के अनुसार अलग-अलग विषय अलग-अलग विश्वविद्यालयों से पढ़े, इसके लिए विश्वविद्यालयों को अपनी परिनियमावली में बदलाव करना होगा। उन्होंने इसके लिए प्रदेश सरकार को एक मॉडल विश्वविद्यालय विकसित करने का सुझाव दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बहुप्रशंसित योजना एक जनपद-एक उत्पाद की तर्ज पर शिक्षाविदों ने प्रत्येक यूनिवर्सिटी को किसी एक विषय में गुणवत्तापूर्ण अध्ययन-अध्यापन और शोध के लिहाज से ‘पीक ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया। यह छात्रों के लिए भी उपयोगी होगा और विश्वविद्यालयों को विशिष्ट पहचान भी देगा। परिचर्चा के दौरान बेसिक, माध्यमिक उच्च, प्राविधिक और व्यावसायिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव गणों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश में किए जा रहे प्रयासों और भावी योजनाओं के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया।