क्या नियोक्ता अपने कर्मचारी को कोविड टीकाकरण के लिए बाध्य कर सकता है?

नई दिल्ली। क्या नियोक्ता अपने कर्मचारी को कोविड टीकाकरण के लिए बाध्य कर सकता है? इस मुद्दे पर हाईकोर्ट ने एक स्कूल टीचर की याचिका पर दिल्ली सरकार व राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गौतमपुरी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में स्कूल टीचर ने नियोक्ता द्वारा जारी उस परिपत्र को चुनौती दी है, जिसमें सेवाएं प्रदान करने के लिए कोविड-19 टीकाकरण कराना अनिवार्य है।
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न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने इस मामले को एक निजी सहायता प्राप्त स्कूल में कार्यरत एक शिक्षक द्वारा दायर एक अन्य याचिका के साथ जोड़ दिया है, जिसमें दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है कि शहर के स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को स्कूलों में भाग लेने की अनुमति नहीं है, अगर वे 15 अक्तूबर तक टीका लगाने में विफल रहते हैं।

हाईकोर्ट ने फिलहाल याची को राहत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि दूसरों की जान को खतरे में नहीं डाल सकते।
इस मामले में स्कूल द्वारा जारी सर्कुलर को चुनौती दी गई है। सर्कुलर में कहा गया है कि ऐसे शिक्षक और अन्य कर्मचारी जिन्हें 15 अक्तूबर 2021 तक टीका नहीं लगाया गया है उन्हें छुट्टी पर माना जाएगा।
याचिकाकर्ता का आज तक टीकाकरण नहीं हुआ है। उसे डर है कि टीकाकरण का उसके शरीर पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए वह अपने शरीर को किसी भी बाहरी पदार्थ के अधीन करने के लिए तैयार नहीं है। उसने अपने अधिकार पर जोर देते हुए तर्क दिया कि ऐसा कोई वैज्ञानिक डाटा नहीं है जो यह बताता हो कि टीकाकरण वायरस के संचरण को रोकता है।
याची ने तर्क रखा कि वह संक्रमण को रोकने के लिए सरकार और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा निर्धारित सभी सावधानियां बरतने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस विषय पर व्यापक शोध किया है और इसे कोर्ट के रिकॉर्ड पर लाने को तैयार हैं।
वहीं दिल्ली सरकार व स्कूल के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि टीकाकरण न करवाकर याचिकाकर्ता को छात्रों के जीवन को जोखिम में डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा याचिकाकर्ता किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं है और इसलिए इस बात का कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं है कि वह टीका क्यों नहीं लगवाना चाहती है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने कहा, टीकाकरण पूरी तरह से स्वैच्छिक है। टीकाकरण न कराना कोई अपराध नहीं है। सरकार को स्टैंड लेने दें कि वे टीके के अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभावों की जिम्मेदारी लेंगे। सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सिद्धार्थ कृष्ण द्विवेदी ने कहा पूरे देश में टीकाकरण हो रहा है। सरकार ऐसा स्टैंड नहीं ले सकती।

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