किसी नि:शक्त व्यक्ति की दशा में कटौती
80प. (1) किसी ऐसे व्यष्टि की, जो निवासी है और पूर्ववर्ष के दौरान किसी समय चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा नि:शक्त व्यक्ति प्रमाणित है, कुल आय की संगणना करने में पचहत्तर हजार रुपए की राशि की कटौती अनुज्ञात की जाएगी :
परंतु जहां ऐसा व्यष्टि गंभीर रूप से नि:शक्त व्यक्ति है वहां इस उपधारा के उपबंध इस प्रकार प्रभावी होंगे मानो “पचहत्तर हजार रुपये” शब्दों के स्थान पर ”एक लाख पच्चीस हजार रुपए” रखे गए हों ।
(2) इस धारा के अधीन किसी कटौती का दावा करने वाला प्रत्येक व्यष्टि, ऐसे प्ररूप और रीति में, जो विहित की जाए, चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए प्रमाणपत्र की एक प्रति उस निर्धारण वर्ष की बाबत, जिसके लिए कटौती का दावा किया गया है, धारा 139 के अधीन आयकर की विवरणी के साथ प्रस्तुत करेगा :
परंतु जहां नि:शक्तता की स्थिति का पूर्वोक्त प्रमाणपत्र में नियत अवधि के पश्चात् पुनर्निर्धारण अपेक्षित हो, वहां उस पूर्ववर्ष की, जिसके दौरान नि:शक्तता का पूर्वोक्त प्रमाणपत्र समाप्त हुआ था समाप्ति के पश्चात् आरंभ होने वाले किसी पूर्ववर्ष से संबंधित किसी निर्धारण वर्ष के लिए, इस धारा के अधीन कटौती तब तक अनुज्ञात नहीं की जाएगी जब तक कि चिकित्सा अधिकारी से, ऐसे प्ररूप और रीति में, जो विहित की जाए, नया प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं किया जाता है और धारा 139 के अधीन आय-कर की विवरणी के साथ उसकी एक प्रति नहीं दे दी जाती है।
स्पष्टीकरण.–इस धारा के प्रयोजनों के लिए,–
(क) “नि:शक्तता” का वही अर्थ है जो उसका नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 2 के खंड (झ) में है और इसके अंतर्गत राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-नि:शक्ता ग्रस्त व्यक्ति कल्याण न्यास अधिनियम, 1999 (1999 का 44) की धारा 2 के खंड (क), खंड (ग) और खंड (ज) में उल्लिखित “स्वपरायणता”, “प्रमस्तिष्क घात” और “बहु-नि:शक्तता” भी है;
(ख) “चिकित्सा प्राधिकारी” से नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 2 के खंड (त) में निर्दिष्ट चिकित्सा प्राधिकारी या ऐसा अन्य चिकित्सा प्राधिकारी अभिप्रेत है, जिसे केंद्रीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-नि:शक्तता ग्रस्त व्यक्ति कल्याण न्यास अधिनियम, 1999 (1999 का 44) की धारा 2 के खंड (क), खंड (ग), खंड (ज), खंड (ञ) और खंड (ण) में उल्लिखित “स्वपरायणता”, “प्रमस्तिष्क घात”, “बहु-नि:शक्तता”, “नि:शक्त व्यक्ति”, और “गंभीर नि:शक्तता” को प्रमाणित करने के लिए अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए;
(ग) “नि:शक्त व्यक्ति” से नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 2 के खंड (न) में या राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-नि:शक्तता ग्रस्त व्यक्ति कल्याण न्यास अधिनियम, 1999 (1999 का 44) की धारा 2 के खंड (ञ) में निर्दिष्ट व्यक्ति अभिप्रेत है;
(घ) “गंभीर रूप से नि:शक्त व्यक्ति” से–
(i) नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 56 की उपधारा (4) में उल्लिखित नि:शक्तताओं में से किसी एक या अधिक नि:शक्ताओं के अस्सी या अधिक प्रतिशत नि:शक्तता से ग्रस्त व्यक्ति; या
(ii) राष्ट्रीय स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु-नि:शक्तता ग्रस्त व्यक्ति कल्याण न्यास अधिनियम, 1999 (1999 का 44) की धारा 2 के खंड (ण) में उल्लिखित गंभीर रूप से नि:शक्त व्यक्ति,
अभिप्रेत है।