उन्हें देवता का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार किसने दिया।

नैनीताल। हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा के प्रसिद्घ चितई गोल्ज्यू मंदिर को ट्रस्ट बनाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने डा. वसुधा पंत से पूछा कि उन्हें देवता का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार किसने दिया। इस पर उनके अधिवक्ता के कहा कि वे भक्त हैं। कोर्ट ने कहा कि भक्त तो लाखों हैं। इस पर उन्होंने पक्षकार बनाने का प्रार्थनापत्र वापस ले लिया।

मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। पूर्व में मंदिर के संस्थापक परिवार के हरिविनोद पंत व संध्या पंत ने अपना पक्ष रखा था। उनकी ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कोर्ट को मंदिर स्थापना से संबंधित दस्तावेजों पर आधारित जानकारी और इतिहास के बारे में अवगत कराया था।

उन्होंने बताया कि 1919 में केशवदत्त-भोलादत्त पंत की ओर से मंदिर बनाया गया था। मामले में अल्मोड़ा की डा. वसुधा पंत ने खुद को गोलज्यू देवता का प्रतिनिधि बताते हुए इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर की थी, जिसे सुनवाई के दौरान वापस ले लिया। मामले के अनुसार दीपक रूबाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि गोलज्यू मंदिर में हर साल लाखों का चढ़ावा आता है, लेकिन मंदिर के पुजारी परिवार चढ़ावे पर अपना अधिकार समझते हैं। उन्होंने चढ़ावे और दान की जांच के लिए ट्रस्ट बनाने की मांग की थी।

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