उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम

संख्या मा०/8170/पन्द्रह-7-76-2(18)/1975 . शिक्षा (7) अनुभाग 

1-(1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम और कहा जायेगा। 

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा। 

2- जब तक कि सन्दर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, इस आदेश में 

(क) “अधिनियम” का तात्पर्य इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 (संयुक्त प्रान्त अमित संख्या 2, 1921) से है। 

(ख) “प्रबन्ध-समिति” में प्राधिकृत नियंत्रक या कोई अन्य व्यक्ति भी सम्मिलित है जिसमें तल प्रवृत्त किसी विधि के अधीन संस्था का प्रबन्ध करने का प्राधिकार निहित हो। . . (ग) “अध्यापक” का तात्पर्य किसी मान्यता प्राप्त इण्टरमीडिएट कालेज, हायर सेकेण्डरी स्कल या हाई स्कूल के अध्यापक (जो संस्था का प्रधान न हो) से है, और इसमें बालिकाओं की किसी संस्था में नियुक्त पुरूष अध्यापक और बालकों की संस्था में नियुक्त अध्यापिका भी सम्मिलित हैं। 

___3- जहाँ कोई व्यक्ति प्रबन्ध समिति द्वारा निरीक्षक के अनुमोदन या उसकी अनुज्ञा से 30 जन. 1975 को या उसके पूर्व अध्यापक के रूप में किसी अवधि के लिए अस्थायी आधार पर नियुक्त किया गया था और ऐसे व्यक्ति ने तत्पश्चात 15 नवम्बर, 1976 तक कार्य किया है, वहाँ यह समझा जायेगा कि वह व्यक्ति 

(क) यदि नियुक्ति प्रारम्भ में स्पष्ट रिक्ति में की गयी थी तो नियुक्ति के दिनांक से; 

(ख) यदि नियुक्ति प्रारम्भ में किसी अवकाश रिक्ति या सत्र के किसी भाग के लिए होने वाली रिक्ति में या स्पष्ट रिक्ति से भिन्न रिक्ति में की गयी थी तो उस दिनांक से, जब ऐसी रिक्ति ने स्पष्ट रिक्ति का स्वरूप ग्रहण कर लिया हो। 

(ग) यदि नियुक्ति प्रारम्भ में ऐसे पद पर की गयी थी जिसके सृजन के सम्बन्ध में बाद में इस निमित्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृति दी गयी थी, तो ऐसी स्वीकृति के दिनांक से। .. (घ) यदि प्रारम्भिक नियुक्ति के समय उसके पास विहित प्रशिक्षण अर्हताएँ नहीं थीं, तो ऐसी प्रशिक्षण 

अर्हता प्राप्त करने के दिनांक से-मौलिक रूप में नियुक्ति किया गया है : . 

किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि उपखण्ड (क) (ख) और (ग) में निर्दिष्ट मामलों में ऐसा व्यक्ति विहित अर्हताएँ रखता हो या उसे न्यूनतम अर्हता की अपेक्षाओं से छूट दी गयी हो और तत्समय प्रवृत्त विधि के अनुसार उसका यथाविधि चयन किया गया हो तथा उसकी नियुक्ति की गयी हो। 

स्पष्टीकरण : ऐसी अवधि जो अध्यापक की नियुक्ति के दिनांक और 15 नवम्बर, 1975 के बीच की हो. जिसके दौरान ऐसा कोई अध्यापक किसी कारण से, जो उसके दराचरण या उसके स्वय अनरोध से न हो, काम से अलग हो गया हो इस खण्ड के प्रयोजनों के लिए सेवा में व्यवधान नहीं होगा 

4. खण्ड 3 के अधीन मौलिक रूप से नियुक्त समझा गया कोई अध्यापक मौलिक नियुक्ति दिनांक से परिवीक्षा पर समझा जायेगा और अधिनियम तथा तदधीन बनाये गये विनियमों के उपब 

के अधीन रहते हुए स्थायी कर दिया जायेगा। 

. इस आदेश की किसी बात से यह अर्थ नहीं लगाया जायेगा कि वह किसी अध्यापक का। ऐसी अवधि के लिए जिसमें उसकी सेवाएँ विच्छिन्न कर दी गयी थीं किसी वेतन या भत्ते का हकम बनाती है। ध्यापक को किसी 

इण्टरमीडिएटएजूकेशनएक्टतथासम्बन्धितविधियाँ 289 6- खण्ड 3 की कोई बात किसी अध्यापक को किसी पद पर मौलिक नियक्ति का हकदार नहीं नरोगी यदि इस आदेश के प्रकाशित होने के दिनांक को अधिनियम और तदधीन बनाये गये विनियमों के निसार ऐसा पद पहले ही भर लिया गया हो। या ऐसे पद के लिए चयन पहले ही कर लिया गया है। 

जहाँ प्रबन्ध समिति ने कोई पद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाइयों का दूर कर आदेश, 1975 के अधीन व्यक्ति को नियुक्ति करके भर लिया है, वहाँ वह पद 31 दिसम्बर, 1976 या अधिनियम और तद्धीन बनाये गये विनियमों के अनुसार नियमित नियक्ति किये जाने तक, जो भी पहले हो, 

(क) यदि ऐसा व्यक्ति उस पद पर 15 नवम्बर, 1976 को था, तो उसके द्वारा धारण किया जायेगा। .(ख) यदि 15 नवम्बर, 1976 को ऐसा व्यक्ति उस पद पर नहीं था या ऐसा पद अन्यथा रिक्त था तो ऐसे अन्य व्यक्ति द्वारा धारण किया जायेगा जिसे प्रबन्ध समिति अस्थायी रूप से नियुक्त कर । 

आज्ञा से, शशि भूषण शरण, 

आयुक्त एवं संचिव। 

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