अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और शासकीय विद्यालयों की सेवा शर्तों में अन्तर

अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और शासकीय विद्यालयों की सेवा शर्तों में अन्तर


मेरा अनुभव है कि अनेक शिक्षा अधिकारियों के साथ प्रधानाचार्य शिक्षक व शिक्षिकाओं को अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों तथा शासकीय विद्यालयों की सेवा शर्तों की स्पष्ट जानकारी नहीं है, अद्यतन अधिकांश शिक्षक शिक्षिकायें भी अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की सेवाएं अर्द्धशासकीय समझते/समझती है।जब कि इन विद्यालयों की सेवाएं निजी प्रबन्धतत्रों के आधीन है

विद्यालयों

शासनादेश दिनांक -०३ अप्रेल,२०१४ के निम्न बिन्दुओं से राजकीय विद्यालयों और एडेड विद्यालयों की सेवा शर्तों में अन्तर सुस्पष्ट हो जाता है-
(१) अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा शर्तें माध्यमिक शिक्षा अधिनियम १९२१,वेतन वितरण अधिनियम १९७१ एंव माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम १९८२,(अब शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम २०२३)में समय समय पर संशोधित सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत शासित है जब कि राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों पर राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली लागू होती है
(२) राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों का चयन लोक सेवा आयोग द्वारा किया जाता है और वह पूर्णकालिक राज्य कर्मचारी माने जाते हैं,जब कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक राज्य सरकार द्वारा अनुदानित कर्मी है और इन्हें अपने शिक्षक पद को बिना छोड़े हुए भारतीय संविधान में वर्णित समस्त लोकतांत्रिक पदों पर चुनाव लड़ने, निर्वाचित होने तथा कार्य करने की स्वतंत्रता प्राप्त है
(३) राजकीय शिक्षकों की नियुक्ति, पदोन्नति, स्थानान्तरण, दण्ड प्रक्रिया आदि विभागीय अधिकारियों द्वारा राज्य सरकार की नियमावली के अधीन सम्पादित की जाती है,जब कि एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा शर्तें उप्र माध्यमिक शिक्षा अधिनियम १९२१ के अन्तर्गत विद्यालय की प्रबन्धसमिति द्वारा की जाती है।

 

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(४) राजकीय शिक्षको की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष है जब कि एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक ६२ वर्ष की अधिवर्षता आयु पूरी कर सेवानिवृत होते हैं
विश्वास है कि शिक्षा विभागीय अधिकारियों के साथ साथ एडेड माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य शिक्षक व शिक्षिकाओं को भी यह सुस्पष्ट हो जायेगा कि उनकी सेवाएं शासकीय/अर्द्धशासकीय न होकर पूर्णतया निजी प्रबन्धतत्रों के अधीन है

 

भारत में शिक्षा की व्यवस्था दो तरीकों से की जाती है

  • शासकीय शिक्षा: इस प्रकार की शिक्षा सरकार द्वारा संचालित होती है।
  • निजी शिक्षा: इस प्रकार की शिक्षा निजी संस्थाओं द्वारा संचालित होती है।

निजी शिक्षा के अंतर्गत अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय और पूर्णतः निजी माध्यमिक विद्यालय आते हैं। अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को सरकार से वित्तीय सहायता मिलती है, जबकि पूर्णतः निजी माध्यमिक विद्यालयों को सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती है।

अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और शासकीय विद्यालयों की सेवा शर्तों में कुछ अंतर होते हैं। इन अंतरों को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है:

नियुक्ति

  • शासकीय विद्यालयों में नियुक्ति: शासकीय विद्यालयों में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों को एक लिखित परीक्षा और साक्षात्कार देना होता है।
  • अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति: अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों को एक लिखित परीक्षा और साक्षात्कार देना होता है। इसके अलावा, उम्मीदवारों को विद्यालय द्वारा निर्धारित योग्यता और अनुभव भी होना चाहिए।

 

वेतन और भत्ते

  • शासकीय विद्यालयों में वेतन और भत्ते: शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों को सरकार द्वारा निर्धारित वेतन और भत्ते मिलते हैं।
  • अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में वेतन और भत्ते: अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों को विद्यालय द्वारा निर्धारित वेतन और भत्ते मिलते हैं। आमतौर पर, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों को शासकीय विद्यालयों की तुलना में कम वेतन और भत्ते मिलते हैं।

 

पदोन्नति

  • शासकीय विद्यालयों में पदोन्नति: शासकीय विद्यालयों में पदोन्नति के लिए शिक्षकों को सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होता है।
  • अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में पदोन्नति: अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में पदोन्नति के लिए शिक्षकों को विद्यालय द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होता है।

अन्य लाभ

  • शासकीय विद्यालयों में अन्य लाभ: शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों को कई अन्य लाभ भी मिलते हैं, जैसे कि आवास, चिकित्सा सुविधा, पेंशन, आदि।
  • अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अन्य लाभ: अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों को इन लाभों में से कुछ या सभी लाभ मिल सकते हैं। यह विद्यालय की नीतियों पर निर्भर करता है।

 

निष्कर्ष

अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और शासकीय विद्यालयों की सेवा शर्तों में कुछ अंतर होते हैं। इन अंतरों को समझना शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को इन अंतरों के बारे में जानकारी होने पर वे अपने लिए सबसे अच्छी नौकरी चुन सकते हैं।

विशेष रूप से, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और शासकीय विद्यालयों की सेवा शर्तों में अंतर को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है

  • शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों को स्थिर वेतन और भत्ते मिलते हैं, जबकि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के वेतन और भत्ते विद्यालय की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करते हैं।
  • शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों को पदोन्नति के अधिक अवसर मिलते हैं, जबकि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में पदोन्नति के अवसर कम हो सकते हैं।
  • **शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों को कई अन्य लाभ मिलते हैं, जैसे कि आवास, चिकित्सा सुविधा, पेंशन, आदि, जबकि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों को इन लाभों में से कुछ या सभी लाभ मिल सकते हैं।

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