अनेक शिक्षक/शिक्षिकाओं को स्थानान्तरण के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी के अभाव में अनेक भ्रम होने के साथ साथ स्थानान्तरण के बाद स्थानान्तरित संस्था में अपने संवर्ग में कनिष्ट हो जाने के प्रति आक्रोश भी है वह इसे गम्भीर विसंगति मानते हुये इसका निराकरण की भी माँग करते है। स्थानांतरण सम्बन्धी जानकारी निम्नवत हैः-
अध्यापकों के स्थानान्तरण का प्रावधान इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा 16 छ(2) ग के आधीन बनाये गये अध्याय तीन के विनियम 55 से 61 तक में है। प्रारम्भ में एकल स्थानान्तरण की व्यवस्था थी,जिसे शासनादेश संख्या-4114/15-7-10(62)/1985 दिनाकं 23/1/92 से बदल कर पारस्परिक स्थानांतरण का प्रावधान कर दिया गया। तत्समय के विनियमों में स्थानांतरण के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट प्रक्रिया नहीं थी।पुनः शासनादेश संख्या-1542/2/15-7-10(62)/1995 दिनाकं 07/9/95 से *एकल स्थानांतरण का प्रावधान कर दिया गया। *किन्तु इसमें निम्न प्रतिबन्ध थे*
(1)एल. टी. ग्रेड के शिक्षकों का स्थानांतरण केवल कार्यरत सम्भांग(मण्डल) के अन्दर ही हो सकता था,जब कि प्रवक्ता और प्रधानाचार्य का स्थानांतरण संम्भाग के बाहर भी हो सकता था।
(2)किसी भी शिक्षक अथवा प्रधान का स्थानान्तरण गृह जनपद में नहीं हो सकता था।
शासनादेश संख्या-3745/15-7-10(62)/1985 दिनाकं -09/09/97 से गृह जनपद में भी स्थानांतरण होने का प्रावधान कर दिया।
शासनादेश दिनाकं -07/9/95 के प्रावधानों में व्यापक संशोधन कर नया शासनदेश दिनाकं-16/5/2018 को निर्गत कर दिया गया।जिसके अनुसार *अब स्थानांतरित हो कर जाने वाले विध्यालय के प्रबन्धक से n.o.c लेने का प्रतिबन्ध भी हटा दिया गया और तदानुसार स्थानांतरण आवेदन प्रपत्र में संशोधन कर तीन पृष्ठीय आवेदन जारी कर दिया गया है।इसके साथ ही अब शासनादेश दिनाक-31/5/18 के अनुसार *अधियाचित हो परन्तु विज्ञाप्ति न हुया हो ,पद के प्रति भी स्थानांतरण की सुविधा प्रदान कर दी गयी है*
आनँलाइन स्थानांतरण—
शासनादेश दिनांक– 14/06/2019 तथा शासनादेश दिनांक–27/01/2020 से आँनलाइन स्थानांतरण की व्यवस्था कर दी गयी,जिसके तहत 600 से अधिक प्रधानाचार्य/शिक्षक/शिक्षिकाओं के स्थानांतरण प्रस्तावित भी हो गये,लेकिन एक शिक्षक द्वारा योजित याचिका में पारित स्थगन आदेश के कारण आँनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया अवरूद्ध हो गयी हैं।
स्थानान्तरण और ज्येष्ठता ———
प्रारम्भ में स्थानान्तरण में पूर्व विद्यालय की मौलिक सेवा को स्थानान्तरित विद्यालय की सेवाऔ के साथ जोड़कर ज्येष्ठता मान्य की जाती थी,जो 21/9/92 तक प्रभावी रही *किन्तु अधिसूचना संख्या-9/888 दिनांक 22/9/92 द्वारा संशोधन कर *स्थानांतरण के बाद शिक्षक अपना कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक को स्थानांतरित संस्था में उसी संवर्ग और श्रेणी मे कार्यरत अन्तिम शिक्षक से कनिष्ट हो जायेगा”* का संशोधन कर दिया गया,यह संशोधन मा. उच्चत्तम न्यायालय द्वारा अनेक सिविल अपीलों में पारित निर्णोयों के आधार पर किया गया।यह अब वर्तमान में प्रभावी है।
यह उल्लेखनीय है कि स्थानान्तरण भी एक प्रकार की नियुक्ति होती है।इस कारण स्थानांतरण केवल मौलिक रिक्ति में हो सकता है।इस तथ्य को भी मा.उच्चत्तम न्यायालय ने अनेक निर्णयौ में दिया है इसलिये दिनाकं 14/7/1981 से दिनाकं 18/3/91 के मध्य के स्थानान्तरणों को मा.उच्चतम न्यायालय ने अवैध मानते हुए कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग के गठन के बाद स्थानान्तरण नहीं किये जा सकते है , जिसके कारण शासन ने राजाज्ञा संख्या-592/17-वि.-1(क)11-1991 दिनाकं 19/3/1991 से तत्समय के माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम में संशोधन कर उक्त सभी स्थानान्तरणों को वैद्य घोषित कर दिया।
स्थानान्तरण और परवीक्षाकाल
माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 के अध्याय 03 के विनियम 15 के अनुसार स्थानांतरण परवीक्षाकाल में भी होने के प्राव़धान को शासनादेश संख्या-1429/15-12-11-1606(1)/2011 दिनाकं-05/9/11 से संशोधित कर तीन वर्ष के सेवाकाल होने पर ही स्थानांतरण का प्राव़धान कर दिया,किन्तु शासनादेश संख्या-2048/15/-12-1608(1)/2011 दिनाकं-30/11/11 से पुनः परवीक्षाकाल में स्थानान्तरण का प्रावधान कर दिया,जो आज भी प्रभावी है