समाज कल्याण निदेशालय में मृतक आश्रित कोटे में दो और कर्मचारियों की गलत नियुक्ति का मामला जांच में सही पाया गया है। जांच अधिकारी ने रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें नियुक्ति देने वाले अफसरों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। हालांकि इस रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय निदेशक, समाज कल्याण को लेना है।
‘अमर उजाला’ ने प्रमुखता से फर्जी नियुक्तियों का यह मुद्दा उठाया था। वर्ष 2000 और 2001 में मृतक आश्रित कोटे में कनिष्ठ सहायक के पद पर प्रदीप कुमार और संजय यादव को नियुक्ति दी गई थी। प्रदीप के माता-पिता दोनों ही समाज कल्याण विभाग में नौकरी करते थे। मां का निधन होने पर उन्हें इस कोटे का लाभ दिया गया। संजय यादव को समाज कल्याण विभाग में सेवारत उनके पिता के निधन के बाद नौकरी दी गई। जब संजय को नियुक्ति दी गई, तब उनकी मां भी सरकारी सेवा में थीं।
वर्ष 1999 के शासनादेश के अनुसार माता-पिता दोनों के सरकारी सेवा में होने और उनमें से किसी एक का निधन होने पर मृतक आश्रित कोटे का लाभ नहीं मिल सकता है। इन दोनों ही मामलों की जांच संयुक्त निदेशक, समाज कल्याण जे राम को दी गई थी। उन्होंने जांच रिपोर्ट में प्रदीप और संजय की नियुक्ति को शासनादेश के विपरीत बताया है। दोनों ही कर्मचारी अभी बतौर प्रधान सहायक निदेशालय में कार्यरत हैं। कुछ समय पहले भी समाज कल्याण विभाग में मृतक आश्रित के रूप में फर्जी ढंग से नियुक्ति पाने पर दो कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है।