स्टेट एडमिनिस्ट्रीटेटिव ट्रिब्यूनल (सैट) ने बुधवार को बंगाल सरकार के महंगाई भत्ता (डीए) से जुड़ी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में सैट के उस आदेश पर फिर से विचार करने के लिए कहा गया था। जिसमें कहा गया है कि राज्य के कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारियों की बराबर डीए पाने के हकदार हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने इसी आदेश के खिलाफ याचिका दायर करते हुए कहा है कि कोरोना संकट की इस विपरीत परिस्थिति में सरकारी खजाने पर प्रभाव पड़ा है लिहाजा इस फैसले पर फिर से विचार किया जाए।
सैट ने राज्य सरकार के याचिका में दिए इस तर्क और अन्य तर्कों पर असहमति जताई और कहा कि याचिका का कोई आधार नहीं है। लिहाजा इसे निरस्त किया जाता है। ममता सरकार अब इस मामले पर कलकत्ता हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। हालांकि डीए बकाए का भुगतान राज्य सरकार के कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांग है।
पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारियों और केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले डीए में 21 फीसदी का भारी अंतर है। ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता देने संबंधी जो निर्देश दिया है, वह बहाल रहेगा।
इससे पहले, पिछले साल 26 जुलाई को सैट ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार के कर्मचारी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर वेतन पर डीए पाने के हकदार है, और राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों के लिए सभी बकाया राशि देने पर विचार करना चाहिए। यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार की तरह ही राज्य सरकार का डीए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर तय किया जाना चाहिए।