सर्व कर्मचारी संघ से सबंधित हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य सचिव धर्मपाल शर्मा ने बिना बहस के मंजूर की गई नई शिक्षा नीति-2020 को बच्चों के खिलाफ एक साजिश बताया। जारी बयान में उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्चतर शिक्षा तक के ढांचे में बहुत बड़े बदलाव किए गए हैं। सरकार ने पिछले वर्ष जब इसके मसौदे को जारी करते हुए लोगों से विचार मांगे थे, उस पर सरकार द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि लाखों ग्राम पंचायतों व लाखों अन्य लोगों के सुझाव शामिल करते हुए इसे जारी किया जा रहा है। वास्तव में अगर पिछले वर्ष जारी मसौदे व अब जारी शिक्षा नीति की तुलना करते हैं तो दोनों में बदलाव तो नजर आते हैं परंतु यह बदलाव निराशाजनक हैं अर्थात सब तक निश्शुल्क, अनिवार्य व गुणवत्ता युक्त शिक्षा की पहुंच करने के लिए पूर्व में जारी मसौदे में सुधार करने चाहिए थे परंतु अब उसमें और भी गिरावट लाते हुए निजीकरण, व्यापारीकरण, सांप्रदायीकरण व भगवाकरण को बढ़ावा दिया गया है। 9 से 12 चार वर्ष में 8 सेमेस्टर इकट्ठे करना भी आम विद्यार्थियों विशेषकर गरीब व लड़कियों के लिए हानिकारक होगा। दसवीं कक्षा एक मान्यता प्राप्त मानक है, इसकी बोर्ड परीक्षा पहले ही भांति रहनी चाहिए थी। वर्तमान व्यवस्था में ड्रापआउट बहुत बढ़ेगा। छठी कक्षा से व्यवसायिक कोर्स देना व इंटरर्नशिप लागू करना एक तरह से बाजार के लिए सस्ती बाल मजदूरी उपलब्ध करवाना ही है। प्राथमिक स्तर तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होगा, निश्चित तौर पर यह भी स्वागत योग्य कदम है परंतु यहां तक स्पष्ट नहीं है कि यह नियम केवल सरकारी विद्यालयों तक लागू होगा अथवा सभी प्राइवेट व कान्वेंट स्कूलों से भी इसे लागू करवाया जाएगा। अगर वर्तमान की भांति प्राइवेट व कान्वेंट स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम जारी रहा तो अमीर-गरीब के बच्चों में भेदभाव की खाई और बहुत बढ़ जाएगी। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जनहित व विशेषकर वंचित तबकों-लड़कियों के हित में संशोधन करने की मांग की है।
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