दैनिक कर्मचारी आश्रित को नौकरी का हक नहीं

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की पूर्णपीठ ने अपने एक महत्‍वपूर्ण निर्णय में यह कहा है कि दैनिक वेतनभोगी व वर्क चार्ज कर्मचारी मृतक आश्रित सेवा नियमावली के तहत सरकारी कर्मचारी नहीं है। इसलिए उसके आश्रितों को मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्‍ति पाने का अधिकार नहीं है।

यह निर्णय न्‍यायमूर्ति आरके अग्रवाल, न्‍यायमूर्ति सुनील अम्‍बवानी एवं न्‍यायमूर्ति केएन पाण्‍डे की पूर्णपीठ ने पवन कुमार यादव व दर्जनों अन्‍य की याचिका पर दिया है। न्‍यायालय ने कहा है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कर्मचारी लम्‍बे समय से दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत है। यदि वह नियमित कर्मचारी नहीं है, तब उसके आश्रित को विभाग में नियुक्‍त की मांग का अधिकार नहीं है। इस तरह के कर्मचारियों के आश्रितों को नियुक्‍ति देने व न देने मामले पर न्‍यायालय के निर्णयों में भिन्‍नता होने से इस बिन्‍दु पर निर्णय हेतु तीन न्‍यायाधीशों के वृहत पीठ को संदर्भित कर दिया गया था। इस पर वृहत पीठ ने यह निर्णय दिया है। न्‍यायालय ने नियमित नियुक्‍ति की व्‍याख्‍या देते हुए कहा कि जो नियुक्‍ति भर्ती प्रक्रिया को अपनाते हुए की गई हो, वही नियुक्‍ति नियमित नियुक्‍ति मानी जाएगी। याची पवन कुमार यादव के पिता वन विभाग मिर्जापुर में दैनिक वेतनकर्मी के रूप में कार्यरत थे। वर्ष 1997 में उनकी मृत्‍यु हो गई थी। याची ने मृतक आश्रित कोटे के अन्‍तर्गत नियुक्‍ति हेतु प्रार्थना पत्र दिया।

विभाग ने इस आधार पर नियुक्‍ति देने से इनकार कर दिया कि उसका पिता नियमित कर्मचारी के रूप में विभाग में कार्यरत नहीं था। अत: उसे नियुक्‍ति नहीं दी जा सकती। मामला हाईकोर्ट तक आया था। याची का कहना था कि उसके पिता एक लम्‍बे समय से इस विभाग में कार्यरत थे। ऐसे में उसे नौकरी दी जानी चाहिए।

राज्‍य सरकार का कहना था कि जब याची के पिता की नियुक्‍ति नियमित नियुक्‍ति नहीं थी, तब उसे नौकरी नहीं दी जा सकती। सरकार की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि याची के पिता को नियमित कर्मचारियों के बजट से वेतन नहीं दिया जाता था। ऐसे में उसे भत्‍ता व पेंशन पाने का भी अधिकार नहीं था। (हिन्‍दुस्‍तान, 23.9.10)

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