उत्तर प्रदेश सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की चयन प्रक्रिया बिना अनेक प्रकार के उतार-चढ़ाव के सम्पन्न नहीं होती है। ऐसा ही इस बार फिर हुआ वास्तव में सरकार प्रबंधकों की मकड़जाल और षडयंत्र से बचने के लिए अधियाचन और भर्ती प्रक्रिया को ज्यादा साफ सुथरा बनाना चाहती थी । इसी प्रयास के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के समस्त अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में रिक्त पदों का अधियाचन ऑनलाइन मागा गया था। जुलाई से सात अगस्त तक करीब 40 हजार अधियाचन मिले थे। उनमें से डीआईओएस ने कितने पदों को सत्यापित किया, ये स्पष्ट नहीं है। इसका विज्ञापन जारी करने से पहले माध्यमिक शिक्षा विभाग ने पदों की संख्या ज्यादा होने पर सवाल उठाया, तर्क था कि कॉलेजों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या से शिक्षकों के स्वीकृत पद अधिक हैं।उत्तर प्रदेश के चार हजार से ज्यादा कॉलेजों में पदों के सत्यापन का जिम्मा टास्क फोर्स को मिला। एक साल हो रहा लेकिन, अब तक जांच के जाल में कितने पद हैं, ये सार्वजनिक नहीं हो सका है और न भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ। एडेड माध्यमिक कॉलेजों में प्रवक्ता और प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक चयन की ये भर्ती पदों के हिसाब से अब तक की सबसे बड़ी है।
।जिलों से मिले अधियाचन का सत्यापन कराने के लिए टास्क फोर्स का गठन हुआ। जांच में सामने आया कि कई कॉलेजों में छात्रों की संख्या कम है और वहां कार्यरत शिक्षक ज्यादा हैं। बहरहाल, जांच रिपोर्ट पर अब तक पर्दा पड़ा है और भर्ती अधर में है। उधर, महकमे के अधिकारी कहते हैं कि कोरोना संकट के कारण विलंब हुआ है।परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने भर्ती की समयसारिणी हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दाखिल की थी। ऐन मौके पर जांच शुरू होने से वह दरकिनार हो गई।