उत्तर प्रदेश सरकार ने फर्जी शिक्षकों के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें पकड़ने के लिए एक अभियान चलाया है। इसी के अंतर्गत राज्य विश्वविद्यालयों राजकीय महाविद्यालय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों के अभिलेखों की जांच की जा रही है। इस मामले में शासन ने प्रगति रिपोर्ट मांगी है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी उच्च शिक्षा अधिकारियों से 24 जुलाई तक पूरी हुई जांच का ब्योरा तलब किया है। शासन ने जुलाई माह के अंतिम सप्ताह तक 90% जांच का कार्य पूरा कर लेने का निर्देश दिया था। उच्च शिक्षा निदेशक ने जांच कार्य की प्रगति धीमी होने पर नाराजगी जताई क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों से 24 जुलाई की शाम तक की जनपद वार जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी। जिले में एडीएम के अध्यक्षता में जांच समिति के इसके अलावा राज विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में अलग-अलग उपसमिति गठित है।
Related Posts
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 (2000 का अधिनियम संख्यांक 56) [30 दिसम्बर, 2000] विधि का उल्लंघन करने वाले किशोरों और देखरेख और संरक्षण के लिए जरूरतमंद बालकों से संबंधित विधि का, उनके विकास की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए उचित देखरेख, संरक्षण और उपचार का उपबंध करते हुए तथा उनसे संबंधित विषयों का न्यायनिर्णयन और व्ययन करने में बालकों के सर्वोत्तम हित में, बालकों के प्रति मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हुए तथा [उनके अंतिम पुनर्वास के लिए समेकन और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का संशोधन करने के लिए अधिनियम] संविधान के अनुच्छेद 15 के खंड (3), अनुच्छेद 39 के खंड (ङ) और खंड (च), अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 47 सहित, अनेक उपबंधों में राज्य पर यह सुनिश्चित करने का प्राथमिक दायित्व अधिरोपित कियागया है कि बालकों की सभी आवश्यकताएं पूरी की जाएं और उनके बुनियादी मानवीय अधिकारों का पूर्ण रूप से संरक्षण किया जाए; और…